जन प्रतिनिधियों के पत्रों का जवाब नहीं दिया तो अफसरों पर पड़ेगा भारी, हिसाब भी रखना होगा

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। अधिकारियों द्वारा जन प्रतिनिधियों (Public representatives) और वरिष्ठ अधिकारियों (Senior officials)के पत्रों को नजरअंदाज करना अर्थात उसका जवाब नहीं देना भारी पड़ सकता है। कलेक्टर ने सभी अधीनस्थों को निर्देश दिया हैं कि जन प्रतिनिधि अथवा कोई भी वरिष्ठ अधिकारी पत्र लिखता है तो उसका जवाब दिया जाए साथ ही उसका हिसाब रख कर उसे एक पोर्टल पर अपलोड भी किया जाए।

कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह (Kaushalendra Vikram Singh)ने अंतर विभागीय बैठक (Inter Departmental Meeting) में अधिकारियों से कहा कि कई विभागीय अधिकारी, जनप्रतिनिधियों एवं शासन स्तर से वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लिखे गए पत्रों का जवाब नहीं देते हैं, यह गंभीर अनियमितता है। सभी अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जो भी पत्र लिखे जाते हैं उनमें बताई गई समस्याओं अथवा मांग के संबंध में तत्परता से कार्रवाई करें और की गई कार्रवाई के संबंध में संबंधित को पत्र लिखकर अवगत भी कराएं । कलेक्टर ने यह भी निर्देशित किया है कि जनप्रतिनिधियों एवं वरिष्ठ अधिकारियों से प्राप्त पत्रों पर की गई कार्रवाई को एक पोर्टल पर दर्ज किया जाए और उसकी समीक्षा भी प्रति सप्ताह हो, यह सुनिश्चित किया जाए।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....