टीकमगढ़, आमिर खान। देश भर में कोरोना महामारी के बाद अब देश एक बार फ़िर पटरी पर आया है और लोग अपने-अपने रोजगार के लिए निकल चुके हैं। इसमें एक बहुत बड़ा तबका बाहरी दुकानदारों का भी होता है, जो अपने शहर व जिले को छोड़ दूसरे जिलों व दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए निकल पड़ते हैं। कई दुकानदार शहरों में लगने वाले मेगा ट्रेड में कपड़ा, जूता-चप्पल, पान की दुकान सहित तमाम तरह की दुकानें लगाकर अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं। मेगा ट्रेड सजाने में इन दुकानदारों की अहम भूमिका रहती है। इन्हीं दुकानदारों की दुकानें लगाने के बाद ये मेगा ट्रेड गुलजार होते हैं, लेकिन इन मेहनती दुकानदारों जो अपने घरों को छोड़कर दुकानें सजाने दूसरे स्थानों पर जाते हैं उनके साथ उनकी कमाई हुई राशि को कुछ दलाल परमिशन और किराए के नाम पर लूटने का कार्य करते हैं।
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ऐसा ही माजरा इन दिनों टीकमगढ़ के राजेन्द्र पार्क में लगे अनुष्का मेगा ट्रेड में देखने को मिल रहा है। यहां मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान व अन्य राज्यों से रोजगार करने आए दुकानदारों से रोजाना दुकान के किराए के नाम पर यहां का सरगना राजेश खुराना लाखों रुपये की ठगी कर रहा है। इसकी जानकारी टीकमगढ़ के जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को होने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारी ऐसे दलाल पर किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं कर रहे। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री के आत्मनिर्भर भारत बनाने के सपने को भी चूर-चूर किया जा रहा है।
अनुष्का मेगा ट्रेड में लगी 70 से अधिक दुकानें
शहर के शसकीय राजेन्द्र पार्क में सजाए गए मेगा ट्रेड में तमाम दुकानें लगाई गई हैं। इन दुकानों में घरों की रोजमर्रा की जरूरतों के साथ-साथ गर्म कपड़े की भी दुकानें सजाई गई हैं। सारी दुकानों का आंकलन किया जाए तो यहां लगभग 70 दुकानें हैं। जहां टीकमगढ़ शहर के दुकानदारों को छोड़ बाहरी दुकानदारों को जगह दी गई है और वह दुकानें लगाए हुए हैं। इन दुकानदारों में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान सहित अनेक जगह के दुकानदर शामिल हैं।
नगर पालिका में 43 हजार की राशि जमा, दुकानदारों से उगाते अधिक पैसा
इस मामले में जब नगर पालिका से जानकारी जुटाई गई तो जानकारी लगी कि राजेन्द्र पार्क मानस मंच पर मेगा ट्रेड लगाने के लिए लगभग 43 हजार कुछ रुपये ही जमा हुए हैं, जबकि यहां का सरगना राजेश खुराना यहां इस शासकीय स्थान पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों से रोजाना 1 लाख से अधिक रुपये की वसूली करता है। अब इस बात का जवाब तो राजेश खुराना ही दे सकता है कि जब नगर पालिका 43 हजार रुपये लेकर इस मेले की 45 दिन की परमीशन दे रहा है, तो फिर यहां दुकानदारों से रोजाना लाखों रुपये क्यों उगाहे जा रहे है। ये गरीब दुकानदारों से ठगी की परिधि में नहीं आता है।