इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। शनिवार को इंदौर में फांसी पर लटके मिले आचार्य विमद सागर का अंतिम संस्कार रविवार को दिगंबर जैन संत परंपरा के अनुसार किया गया। बड़ी संख्या में जैन समाज के सदस्यों ने आचार्य विमद सागर के अंतिम दर्शन कर श्रीफल भेंट किए। सुबह 8 बजे उनके पार्थिव शरीर को वाहन में अंजनी नगर संत सदन से ड्रीम वर्ल्ड के सामने समर्थ सिटी लाया गया। इसके बाद लकड़ी के पाट पर बैठाकर संत परंपरानुसार डोला निकाला गया। इस दौरान मंत्र का जाप हुआ। उनके सांसारिक जीवन के पिता, बहनें और रिश्तेदार सहित सागर से करीब 150 से ज्यादा लोग आए थे। अखिल भारतीय पुलक जन चेतना मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप बड़जात्या ने बताया कि अंतिम संस्कार की रस्म की बोलियां नहीं लगीं। गृहस्थ जीवन के स्वजन ने मुखाग्नि दी। प्रवचन केसरी के नाम से प्रसिद्ध आचार्य विमद सागर महाराज ने शनिवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। पोस्टमार्टम के बाद शनिवार रात 11.30 बजे उनकी पार्थिव देह को अंजनी नगर संत सदन लाया गया।
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वही आचार्य विमद सागर के बड़े भाई संतोष जैन का कहना था कि निराश व्यक्ति को ऊर्जा से भर दे, वह संत कैसे आत्महत्या कर सकता है। संत आत्महत्या नहीं करते, समाधि लेते हैं। बताया जा रहा है आचार्य विमद सागर बीमारी के कारण तनाव में थे, लेकिन पाइल्स और शुगर कोई बड़ी बीमारी नहीं होती है जो वैराग्य के पथ पर चलने वाले बड़े संत को कमजोर कर दे। उनका फांसी लगाना भी मुश्किल है क्योंकि उनका एक हाथ टूटा हुआ था। ऐसे में इतने ऊपर फंदा कैसे लगाएंगे। उनका हाथ बचपन में साइकिल से गिरने के कारण टूटा था। संतोष जैन ने कहा की, वे इतने मजबूत थे कि एक दिन उपवास और एक दिन आहार लेते थे। कोरोना के कारण मां की तबियत खराब हुई थी, तो उन्होंने प्रोत्साहित किया। इस घटना की जांच की जानी चाहिए। कहीं उनकी लोकप्रियता की वजह से भी तो किसी ने इस तरह की घटना को अंजाम दिया हो। जीवन के आखरी वक्त में जिन लोगों के संपर्क में थे उनसे गहन पूछताछ होनी चाहिए।