इंदौर।
लंबे मंथन के बाद भी कांग्रेस अब तक इंदौर लोकसभा सीट के लिए जिताऊ उम्मीदवार नही ढूढ़ पाई है, जिसके चलते सीट को होल्ड पर रखा गया है। दिग्विजय के भोपाल से चुनाव लडने के ऐलान के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि सिंधिया इंदौर से मैदान मे उतर सकते है, लेकिन गुना से नाम तय होने के बाद तमाम अटकलों पर विराम लग गया है। इधर सिंधिया के दौड़ से बाहर होते ही तीन स्थानीय नेताओं का नाम मैदान में शामिल हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि इन तीनों नामों में से पार्टी किसी एक के नाम को फायनल कर सकती है, हालांकि अंतिम फैसला केन्द्रीय चुनाव समिति को ही करना है। वही सियासी गलियारों में सबको इस बात का बेसब्री से इंतजार है कि भोपाल के बाद इंदौर से पार्टी किस बड़े नेता को मैदान में उतारेगी।
दरअसल, विन 29 का लक्ष्य लेकर मैदान में उतारने जा रही कांग्रेस का फोकस इस बार कठिन सीटों(जिन पर भाजपा का कब्जा) पर बना हुआ है। अभी तक कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए 9 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है और 17 सीटों पर नाम फायनल कर लिए है, लेकिन इंदौर को लेकर जबरदस्त पेंच फंसा हुआ है।पार्टी को इस सीट पर जिताऊ उम्मीदवार की तलाश लगातार जारी है।दिग्विजय के भोपाल से चुनाव लड़ने के बाद कयास लगाए जा रहे थे पार्टी सिंधिया को यहां से चुनाव लड़ा बड़ा दांव खेल सकती है, लेकिन मंगलवार को हुई बैठक में गुना से सिंधिया के नाम पर मुहर लग गई, जिसके बाद से इस सीट पर मंथन तेजी से किया जा रहा है।
वही सिंधिया के बाद कांग्रेस के इन तीन स्थानीय नेताओं का नाम दौड़ में शामिल हो गया हैं।जिसमें महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता शोभा ओझा , स्थानीय नेता पंकज संघवी और प्रदेश सचिव स्वप्निल कोठारी का नाम शामिल हैं। ओझा और संघवी शहर कांग्रेस के चिरपरिचित नाम हैं। दोनों ही नेता इससे पहले इंदौर में महापौर के साथ विधायक के टिकट पर भी चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि दोनों को ही सफलता नहीं मिली। ओझा का नाम महिला के सामने महिला फॉर्मूले के आधार पर आगे बढ़ाया जा रहा है।
संघवी विधानसभा चुनाव में भी टिकट के लिए कतार में थे, लेकिन टिकट नहीं मिला। इससे पहले वे एक बार सुमित्रा महाजन के सामने चुनाव लड़ चुके हैं और पराजय का अंतर 15 हजार वोटों से कम रहा था। सूची में तीसरा नाम कांग्रेस के लिहाज से बिल्कुल नया और अपेक्षाकृत युवा माना जा रहा है। चार्टर्ड अकाउंटेंट व शिक्षाविद स्वप्निल कोठारी निजी विवि के चांसलर हैं। कोठारी ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का दामन थामा और उन्हें सचिव का पद भी दिया गया।