इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में इंदौर (indore)शहर के लोगों के लिए एक बुरी खबर है। इदौंर प्रशासन ने कोरोना (corona) की वापसी को देखते हुए यह निर्णय लिया है। कि इस बार भी पिछले साल की तरह रंगपंचमी पर ऐतिहासिक गेर ( traditional holi ger) नहीं निकलेगी। मंगलवार शाम हुई क्राइसिस मैनेजमेंट (crisis management) की बैठक के बाद ये बड़ा कदम उठाया गया है। बता दें की पिछले साल भी कोरोना के कारण गेर नहीं निकाली गई थी। और 75 सालों में यह दूसरी बार हो रहा है कि विश्वप्रसिद्ध इंदौर की गैर का आयोजन नहीं किया जाएगा।
कोरोना के कारण लिया यह फैसला
इंदौर में कोरोना की वापसी के बाद जन सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए, क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक में यह फैसला लिया गया। मीटिंग के बाद इंदौर कलेक्टर (indore collector)मनीष सिंह ने मीडिया को बताया कि कोरोना के बढ़ते केस के कारण यह फैसला लिया गया। उन्होंने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) और सैनिटाइजर (Sanitizer) अनिवार्य किया गया है। इस स्थिति में शहर में निकलने वाली गेर को मंजूरी नहीं दी जाएगी। बिना अनुमति कोई आयोजन नहीं किए जाएंगे। वही बड़े आयोजन जैसे शादी और अंतिम यात्रा में 50 लोग ही शामिल हो पाएंगे।
बता दें कि ,आपातकाल(Emergency), दंगों (riots) और भीषण सूखे (severe drought) के दौर में भी गेर का पारंपरिक उत्सव नहीं थमा था। 2020 में भी गेर का आयोजन नहीं किया गया था लेकिन 30 हजार से ज्यादा शहर के उत्सवप्रेमियों ने खूब-रंग गुलाल उड़ाए थे। भारत में रंगपंचमी का इतिहास काफी पुराना है। इंदौर शहर में इसे प्राचीनकाल से मनाया जाता है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में होली का उत्सव की परंपरा उस दौरान शुरू हुई थी, जब होलकर वंश (Holkar dynasty) के लोग होली खेलने के लिए रंगपंचमी के मौके पर सड़कों पर निकलते थे। उस समय बैलगाड़ियों का बड़ा काफिला होता था, जहां लोग टेस के फूलों से और हर्बल चीजों से रंग बनाकर गाड़ियों में रखते थे। और जो भी उनको रास्ते में मिलता था उसे रंग लगा देते थे। इस परंपरा का मकसद था कि हर वर्ग के लोगों को इसमें शामिल करके बुराई भूलकर एकता के साथ त्यौहार मनाना। राजे-रजबाड़ों का शासन खत्म होने के बाद भी आज तक इस परंपरा को शहर के लोगो ने जिंदा रखा है। लेकिन कोरोना के कहर में इस बार इस उत्सव का सिलसिला थम जाएगा।