इंदौर, आकाश धोलपुरे। लंबे समय से भारतीय नागरिकता पाने की जद्दोजहद कर रहे 75 शरणार्थियों को आजादी की 75 वीं सालगिरह के अवसर पर मनाए जा रहे अमृत महोत्सव के साथ भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है। इस कार्यक्रम के बाद नागरिकता प्रमाण पत्र मिलने का जश्न मनाया गया जिसमें लोग जमकर नाचे। यहां इंदौर सांसद शंकर लालवानी ने भी गरबा खेलकर खुशी का इजहार किया।
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दरअसल, पाकिस्तान से आये सिंधी समाज के 75 व्यक्तियों को एक गरिमामय कार्यक्रम में भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंपा गया। मंगलवार को इंदौर के माणिकबाग रोड स्थित अमरदास हाल में आयोजित समारोह में सांसद शंकर लालवानी, कलेक्टर मनीष सिंह, पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे, बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती की मौजूदगी में ये ऐतिहासिक कार्य संपन्न हुआ। यहां जेकब आबाद जिला सिंधी पंचायत ट्रस्ट इंदौर के अध्यक्ष राजा मांदवानी, गुरूसिंघ सभा के अध्यक्ष रिंकू भाटिया भी विशेष रूप से मौजूद थे।
इस मौके पर इंदौर सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि नागरिकता दिये जाने के कानून को सरल बनाने की मांग वर्षों से की जा रही थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिंधी समाज की पीड़ा को समझा और नागरिकता कानून को सरल बनाया। उनके द्वारा नागरिकता के कानून को और अधिक सरल बनाया जा रहा है। नागरिकता के कानून को सरल बनाये जाने से पाकिस्तान से भारत आये सिधियों सहित अन्य अल्पसंख्यकों को सीधा लाभ मिल रहा है। पाकिस्तान की प्रताड़ना से मुक्ति मिल रही है।
इधर, नागरिकता के प्रमाण पत्र मिलने के साथ ही सिंधी समाज में अपार खुशी देखी गई। कार्यक्रम स्थल पर नागरिकता प्रमाण पत्र मिलने का जश्न पाकिस्तान से भारत आये सिंधी समाजजनों ने मनाया। उन्होंने भारत माता की जय और आयोलाल झूलेलाल के जयघोष के साथ अपनी खुशी का इजहार किया। साथ ही नाच गाना भी हुआ जहां सांसद शंकर लालवानी ने भी गरबा किया। भारत की नागरिकता मिलने से खुश हुई युवती अंजली देवी ने कहा कि उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी नागरिकता मिलेगी। भारत में हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं। पाकिस्तान में हमारा हर पल दम घुटता था। अंजलि ने बताया कि वह परिवार सहित पाकिस्तान से 17 साल पहले भारत आयी थी। वहां बहुत परेशान थी क्योंकि वहां पर महिलाओं की स्थिति भी ठीक नही थी और भारत में उन्हें पूर्ण आजादी से रहने का मौका मिल रहा है। यहाँ हमारा बहुत सम्मान है। वही मुरलीलाल नामक शख्स ने बताया कि वह पाकिस्तान से अपने परिवार सहित वर्ष 1989 में भारत आये थे। पाकिस्तान में वो अनाज का व्यापार करते थे और परेशानियों से तंग आकर भारत में आने का निर्णय लिया। अब लग रहा है कि हमारा यह निर्णय बिल्कुल सही रहा।