इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर (Indore) में कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने 10 दिन का सख्त लॉकडाउन लगा दिया है, इसके तहत किराना दुकान और फल सब्जी की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया, जिस पर कांग्रेस के साथ साथ बीजेपी नेताओं ने भी सवाल खड़े करना शुरु कर दिए है। भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने नाराजगी जताई है।
कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर लिखा है कि आखिर क्या जरूरत है एक अलोकतांत्रिक और तानाशाही भरे निर्णय को इंदौर जैसे अनुशासित शहर पर थोपने की, जिस निर्णय की सर्वत्र निंदा हो रही हो, उस पर पुनर्विचार होना ही चाहिए। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को मिलकर विचार करना चाहिए।
वही कैलाश विजयवर्गीय के साथ वरिष्ठ बीजेपी नेता कृष्णमुरारी मोघे ने भी असहमति जताते हुए कहा कि किसानों और व्यापारियों ने सब्जियां व फल गोदाम में रखे हैं, उन्हें निकालने के लिए कम से कम 12 घंटे का समय मिलना चाहिए था। एकाएक रोक से उनका नुकसान होगा।
इधर, विवाद खड़े होने के बाद इंदौर कलेक्टर ने मनीष सिंह (Indore Collector Manish Singh) ने संकेत दिए हैं कि एक जून से शहर को जनता कर्फ्यू (Janta Curfew) से मुक्ति मिल सकती है, हालांकि शहर में माइक्रो कंटेन्मेंट जोन बढ़ाए जाएंगे और संक्रमण के हिसाब से छूट दी जाएगी। 1 जून के बाद अधिक संक्रमित क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में विभिन्न गतिविधियों को खोलने की शुरुआत भी की जाएगी।
क्या है नए आदेश में
किराना दुकान और फल सब्जी की बिक्री पर पूरी तरह से 28 मई तक प्रतिबंध ।
सभी थोक और निजी किराना दुकानें बंद रहेगी।
किराना, ग्रोसरी सहित फल सब्जी की बिक्री डोर टू डोर होगी।
बिग बाजार, ऑनडोर जैसी एजेंसियां किराना और ग्रोसरी आइटम की होम डिलीवरी करेगी।
इंदौर में होम डिलीवरी सुबह 6:00 से शाम 5:00 बजे तक ही की जाएगी।
उद्योग, गोदाम, ट्रांसपोर्ट संबंधित व्यक्ति को तीन टाइम का स्लॉट ।
सुबह 8:30 से 10:00 बजे शाम 6:00 से
7:00 बजे और रात 1:00 से 2:30 बजे तक को अपने निवास से आ जा सकेंगे।
दूध का वितरण घर-घर डेयरी
के माध्यम से सुबह 9:00 बजे तक वही समय 5:00 से 7:00 तक किया जा सकेगा।
सुबह 9:00 बजे के बाद दूध वितरण पर सख्ती से पाबंदी लगाई गई है।
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Pooja Khodani
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
"कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ।
खबरों के छपने का आधार भी हूँ।।
मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ।
इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।।
दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ।
झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।"
(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)