World Poha Day: विश्व पोहा दिवस पर बोले कैलाश विजयवर्गीय “बच्चों को पिज्जा, बर्गर के बजाय पोहा खाने के लिए प्रेरित करें”

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि उन्होंने विश्व के अलग-अलग देश में पोहे खाए हैं, जिसमें अमेरिका, कनाडा और जापान में पोहे मिलने की बात कही है।

Shashank Baranwal
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Kailash Vijayvargiya

World Poha Day: विश्व पोहा दिवस के अवसर पर राजवाड़ा पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मध्य प्रदेश के नगरीय विकास आवास एवं संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय शिरकत किये, जहाँ उन्होंने पोहा खाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को पिज्जा, बर्गर और मोमोज खाने से रोके और उन्हें पोहा खाने के लिए प्रेरित करें, क्योंकि पोहे खाने से कोई भी नुकसान शरीर को नहीं होता है। पोहा हल्का होता है, जिसके कारण वह जल्दी पच जाता है।

अपने बचपन की बात बताई

इस कार्यक्रम में आए सभी लोगों को नि: शुल्क पोहे खिलाए गए। वहीं, कार्यक्रम में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक रमेश मेंदोला और गोलू शुक्ला भी मंच पर पोहे खाते नजर आए। वहीं, मीडिया से चर्चा करते हुए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अपने बचपन के दिन याद करते हुए कहा कि स्कूल के दौरान अक्सर कबड्डी खेलने के लिए महाराजा स्कूल आया करते थे। इस दौरान वह राजवाड़ा पर आकर प्रशांत के पोहे खाया करते थे। साथ ही कहा कि तब 15 पैसे प्रति प्लेट के हिसाब से पोहे मिलते थे, जोकि अब 20 रूपए प्रति प्लेट हो गया है।

बच्चों को पोहे खाने के लिए की अपील

इसके अलावा मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि उन्होंने विश्व के अलग-अलग देश में पोहे खाए हैं, जिसमें अमेरिका, कनाडा और जापान में पोहे मिलने की बात कही है। अक्सर सभी जगहों के पोहे की पहचान इंदौर के नाम से ही है। दरअसल, विश्व पोहा दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजन पोहे की ब्रांडिंग करने के उद्देश्य से हुआ है। वहीं, मंत्री विजयवर्गीय ने खास तौर पर बच्चों को पोहे खाने के लिए प्रेरित करने की अपील की है।

इंदौर से शकील अंसारी की रिपोर्ट


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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