मालवा निमाड़ : बागी नेताओं के कारण कई सीटों पर उलझे हुए हैं पेंच, बगावत थामने की कवायद में लगे हुए हैं भाजपा कांग्रेस के दिग्गज

MP Election 2023

MP Election 2023 : मालवा निमाड़ की कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के लिए बागी नेता भारी परेशानी का कारण बने हुए हैं। इनके तेवर बहुत तीखे हैं और समझाने में दोनों पार्टी के दिग्गजों को पसीना आ रहा है। वैसे मनाने-समझाने की कवायद में लगे नेताओं का मानना है कि 30 तारीख यानि नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख नजदीक आते-आते सबकुछ ठीक हो जाएगा।

तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक मालवा-निमाड़ की 66 में से एक-दो सीट पर ही बागी नेताओं को मनाने में सफलता मिली है। कुछ सीट पर तो हालात इतने बिगड़े हुए हैं कि बागी नेता अब शिवराजसिंह चौहान, वीडी शर्मा, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह जैसे भाजपा और कांग्रेस के दिग्गजों से बात करने को भी तैयार नहीं हैं।

धार विधानसभा

कांग्रेस : कुलदीप नहीं माने तो हार सकती हैं प्रभा गौतम

धार की राजनीति में बुंदेला और गौतम परिवार की अदावत पुरानी है। दो चुनाव बालमुकुंद गौतम लड़ चुके हैं और एक चुनाव उनकी पत्नी प्रभा गौतम। इस बार यहां से सबसे मजबूत दावा कुलदीप सिंह बुंदेला का था। उनका टिकट तय भी माना जा रहा था, अचानक प्रभा गौतम को उम्मीदवार बना दिया गया। ऐसा कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह की दखल के कारण गौतम के पक्ष में फैसला हुआ। अब कुलदीप बागी तेवर अख्तियार कर चुके हैं। उन्होंने नामांकन भी दाखिल कर दिया है। वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। कुलदीप के यहां से निर्दलीय लडऩे की स्थिति में कांग्रेस को बदनावर, महू और धरमपुरी सीट पर भी नुकसान उठाना पड़ेगा।

भाजपा : नीना वर्मा के खिलाफ राजीव यादव के तीखे तेवर

धार की राजनीति में सालों से विक्रम वर्मा का दबदबा रहा है। वे यहां से चार बार विधायक रह चुके हैं। तीन चुनाव उनकी पत्नी नीना वर्मा जीत चुकी हैं और चौथी बार मैदान में हैं। इस बार उनकी उम्मीदवारी की जमकर खिलाफत हो रही है। वर्मा के राजनीतिक हमसफर अनन्त अग्रवाल के तेवर सबसे तीखे हैं। उनका साथ दे रहे हैं भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव अग्रवाल। वर्मा से नाराज धार के दूसरे भाजपा नेता भी इन दोनों का साथ दे रहे हैं। वर्मा इस सबसे बेखबर हैं और नाराज नेताओं को मनाने की अभी तक की कोशिशें विफल रही हैं।

मनावर : शिवराम उम्मीदवार पर रंजना मानने को तैयार नहीं

मनावर में भाजपा ने यहां से दो बार विधायक रह चुकी पूर्व मंत्री रंजना बघेल के दावे को नकारते हुए शिवराम कन्नौज को टिकट दिया है। इनके पिता गोपाल कन्नौज 2018 में धरमपुरी से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और हार गए थे। इसके पहले वे 2013 में मनावर से भाजपा का टिकट न मिलने पर बागी होकर चुनाव लड़े थे। पिता के निधन के बाद शिवराम ने मैदान संभाला। वे आईटी सेक्टर की अच्छी-भली नौकरी छोड़कर मनावर में राजनीति करने लगे। उनकी सक्रियता और अलग-अलग स्तर से मिले फीडबैक के बाद पार्टी ने इस बार टिकट शिवराम को दे दिया। रंजना नाराज हैं और जिस अंदाज में उन्होंने नामांकन दाखिल कर चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है वह भाजपा की परेशानी बढ़ाने वाला है।

जावरा : जीवन सिंह बने कांग्रेस के लिए परेशानी का कारण

जावरा में कांग्रेस के सामने एक अलग तरह की उलझन है। पार्टी ने पहले यहां हिम्मत सिंह श्रीमाल को टिकट दिया था। उन्होंने मैदान भी संभाल लिया था। अचानक टिकट बदला और वीरेंद्र सिंह सोलंकी उम्मीदवार हो गए। अब कांग्रेस से टिकट के तीसरे दावेदार करणीसेना के बड़े नेता जीवन सिंह शेरपुर मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने गुरुवार को हजारों लोगों की मौजूदगी में नामांकन दाखिल कर दिया। कांग्रेस की परेशानी यह है कि टिकट कटने से नाराज श्रीमाल तो मोर्चा खोलकर बैठे ही हैं, शेरपुर भी नाराज हो गए हैं। इस सबका नुकसान नए उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह को उठाना पड़ेगा।

मनासा : चौंका रखा है चावला के तीखे तेवर ने

मनासा सीट पर पूर्व मंत्री कैलाश चावला भाजपा के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन गए हैं। यहां से भाजपा ने वर्तमान विधायक अनिरुद्ध मारू को फिर टिकट दिया है। चावला यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने मनासा की राजनीति में दखल रखने वाले दूसरे भाजपा नेताओं को साथ लिया और मारू की खिलाफत में लग गए। गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के गृहनगर कुकड़ेश्वर में एक बड़ा आयोजन कर यह स्पष्ट कर दिया कि उन्हें मारू की उम्मीदवारी मंजूर नहीं है। इस आयोजन में यह संकेत भी दिए गए कि नाराज नेताओं में से कोई एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सामने आ सकता है।

मल्हारगढ़ : श्यामलाल मैदान में, परशुराम दिक्कत में

वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के सामने कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में हारे परशुराम सिसोदिया को फिर मौका दिया है। यहां से कांग्रेस के टिकट के लिए 2008 और 2013 में हारे श्यामलाल जोगचंद का भी दावा था। टिकट न मिलने से नाराज श्यामलाल चुनाव लडऩे के लिए नामांकन दाखिल कर चुके हैं। जिस अंदाज में उन्होंने नामांकन दाखिल कर प्रचार शुरू कर दिया है, उससे यह स्पष्ट है कि वे अब मानने वाले नहीं हैं। श्यामलाल के मैदान में रहने की स्थिति में परशुराम सिसोदिया को बड़ा नुकसान होना है।

महू : दरबार अड़े हुए हैं, शुक्ला प्रचार में जुट गए

महू यानि डॉ. अम्बेडकर नगर सीट पर अंतरसिंह दरबार और उनके समर्थक कांग्रेस उम्मीदवार शुक्ला की खुलकर खिलाफत कर रहे हैं। जिस दिन शुक्ला का टिकट घोषित हुआ, उसी दिन से दरबार ने मैदान संभाल लिया। कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और अजयसिंह जैसे दिग्गज नेताओं के समझाने के बाद भी वे मानने को तैयार नहीं हैं। दरबार यदि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस को निश्चित तौर पर नुकसान पहुंचेगा। वैसे जिस राजपूत वोट बैंक पर दरबार की पकड़ बताई जाती है, उसके विभाजन की स्थिति में भाजपा उम्मीदवार उषा ठाकुर को भी दिक्कत होगी।

कुछ सीट पर मिली है सफलता

उज्जैन उत्तर : विवेक मान गए, माया की राह आसान

उज्जैन उत्तर सीट पर कांग्रेस के टिकट के लिए विवेक यादव का भी दावा था। पार्टी ने टिकट माया त्रिवेदी को दिया, तो विवेक ने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में मैदान संभाल लिया। उनके मैदान में रहने की स्थिति में कांग्रेस उम्मीदवार को दिक्कत होना तय थी। कमलनाथ और रणदीपसिंह सुरजेवाला की समझाईश पर विवेक मान गए और अब वे माया त्रिवेदी के लिए काम करेंगे।

मनासा : नूरी की कोशिश, संघई मान गए, नाहटा को राहत

मनासा में कांग्रेस से नरेंद्र नाहटा की उम्मीदवारी तय होने के बाद मंगेश संघई ने बगावत कर दी थी। वे मानने तो तैयार नहीं थे और निर्दलीय चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया। मनासा के कुछ कांग्रेस नेता भी संघई के साथ हो गए। नाराज नेताओं को समझाने के लिए नीमच जिले की प्रभारी नूरी खान ने मोर्चा संभाला। लंबी कवायद के बाद वे नाहटा और संघई को साथ बैठाने में सफल हो गईं और अब संघई, नाहटा के लिए क्षेत्र में सक्रिय हैं।

इस आलेख के लेखक अरविंद तिवारी प्रेस क्लब इंदौर के अध्यक्ष हैं 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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