MPPSC 2022 : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच का बड़ा फैसला, 71 याचिकाकर्ताओं को मुख्य परीक्षा में शामिल करने का अंतरिम आदेश

Indore High Court Bar Association

Decision of Indore Bench of MP High Court regarding MPPSC 2022 : MPPSC 2022 सिविल सर्विस परीक्षा में ‘भारत छोड़ो’ और एक अन्य प्रश्न को लेकर दायर याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 71 याचिकाकर्ताओं को मुख्य परीक्षा में शामिल करने का अंतरिम आदेश जारी किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी। हाईकोर्ट में एडवोकेट विभोर खंडेलवाल एवं एडवोकेट जयेश गुरनानी ने याचिकाकर्ता की ओर से की पैरवी की।

क्या है मामला

मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा 2022 तब विवाद में आई जब लोकसेवा आयोग द्वारा इसकी फाइनल उत्तरकुंजी जारी की गई। इसमें दो प्रश्नों में विवाद की स्थिति बनी। पहला- भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत कबसे हुई, जिसका अधिकतर छात्रों ने उत्तर 9 अगस्त 1942 चुना। दूसरा- राज्य निर्वाचन आयोग कब अस्तित्व में आया जिसका उतर अधिकतर छात्रों ने 1 फरवरी 1994 चुना। प्रारंभिक दौर में प्रावधिक उत्तरकुंजी में लोकसेवा आयोग ने इन दोनों उत्तर को सही माना लेकिन फाइनल उत्तरकुंजी में इन दोनों प्रश्नों को डिलीट कर दिया गया। इसके बाद इस मुद्दे पर मध्यप्रदेश में राजनीति भी गरमाई। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह सहित अन्य कई नेताओं ने एमपीपीएससी पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए।

मामला अदालत तक पहुंचा 

इसके बाद छात्रों ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट इंदौर बेंच में एडवोकेट विभोर खंडेलवाल एवं जयेश गुरनानी के माध्यम से याचिका दायर की। मामले में पैरवी करने वाले हुए एडवोकेट जयेश गुरनानी ने बताया कि यह स्पष्ट है कि भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त 1942 को शुरू हुआ था। इतिहास की सभी किताबों में एवं भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय सहित लोकसभा के भाषण में इसका उल्लेख है। इसके बावजूद मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग ने इस प्रश्न को डिलीट कर दिया। हमने छात्रों की तरफ से हाईकोर्ट में सभी आवश्यक प्रमाण रखे जिस पर अदालत ने मामले की गंभीरता को समझते हुए सभी याचिकाकर्ता को MPPSC मुख्यपरीक्षा 2022 में शामिल करने का आदेश दिया है। ये मुख्य परीक्षा 30 अक्टूबर से 4 नवंबर तक आयोजित की जाएगी और 71 छात्रों उसमें शामिल करने का अंतरिम आदेश मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग को दिया गया है। इसी के साथ आयोग को इसमें जवाब दाखिल करने का आदेश भी दिया है।

मामले में MPPSC ने एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की और अंतरिम राहत को रद्द करने की मांग की लेकिन याचिकाकर्ता के एडवोकेट ने कहा कि एक्सपर्ट कमेटी सर्वोपरि नही है। भारत सरकार के सरकारी दस्तावेज कहते है कि भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त 1942 को प्रारंभ हुआ था , इसलिए एक्सपर्ट कमेटी भारत सरकार से ऊपर नही हो सकती है। एडवोकेट के तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने नए 31 याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए कुल 71 याचिकाकर्ता को मुख्य परीक्षा में शामिल करने का आदेश MPPSC को दिया है।

याचिकाकर्ता ने दी जानकारी

इस मामले में छात्र आकाश पाठक ने बताया कि यह विडंबना है कि मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग के प्रत्येक रिजल्ट पर छात्रों को हाईकोर्ट में जाना पड़ रहा है। हर साल परीक्षा में यही विसंगतियां देखने को मिलती है। इतिहास के सही उत्तर को डिलीट कर दिया जाता है ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी का सामना छात्रों को करना पड़ता है। आकाश ने बताया कि हमने 2022 परीक्षा में डिलीट प्रश्न एवं अन्य प्रश्नों को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर में लगभग 550 छात्रों की तरफ से याचिका दायर की है, जिस पर सुनवाई जारी है। उन्होंने कहा कि लोकसेवा आयोग को उत्तरकुंजी जारी करते समय गंभीरता दिखानी चाहिए क्योंकि इसका सबसे ज्यादा मानसिक और आर्थिक शोषण छात्रों का होता है। छात्रों को पढ़ने की जगह कोर्ट में लड़ना पड़ रहा है।

याचिकाकर्ता आकाश पाठक ने बताया कि मध्यप्रदेश में एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी जनसभाओं में 1 लाख सरकारी भर्ती पूरी करने की चर्चा कर रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि MPPSC 2018 की अंतिम नियुक्ति हुई थी उसके बाद से 5 साल होने वाले है लेकिन पूरी पंचवर्षीय में राज्यसेवा परीक्षा की एक नियुक्ति नहीं हुई है। हर साल कैलेंडर जारी होते हैं लेकिन उनका कभी पूर्ण पालन नहीं किया जाता है। हर बार कैलेंडर बदलकर आते रहते है लेकिन छात्रों को आज तक नियुक्ति नही मिली। 2018 से मध्यप्रदेश में दो सरकारें बन चुकी है और तीसरी 2023 के अंत तक बन जाएगी लेकिन नियुक्ति एक नहीं हुई है।

अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को

एडवोकेट जयेश गुरनानी ने बताया कि मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर 2023 को निर्धारित की गई है। हमने कोर्ट को अवगत करवाते हुए छात्रों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने का आग्रह किया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए याचिका क्रमांक 24878/23023, 25113/2023, 24878/2023) में अंतरिम आदेश पारित किया। बता दें कि एडवोकेट विभोर खंडेलवाल एवं जयेश गुरनानी मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग की विभिन परीक्षाओं में परिणामों की विसंगति को लेकर एवं आरक्षण के सही पालन करवाने हेतु छात्रों के हितों की रक्षा हेतु विभिन्न केस की पैरवी कर रहे हैं। MPPSC 2022 राज्य सेवा परीक्षा 457 पदों के लिए आयोजित की जा रही है , इसकी प्रारंभिक परीक्षा 19 मई 2023 को आयोजित की गई थी।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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