विश्व में बजा इंदौर के स्वच्छता मॉडल का डंका, बांग्लादेश से आई टीम ने समझा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का तरीका

Shashank Baranwal
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Indore News: मध्य प्रदेश का इंदौर शहर देश में सबसे स्वच्छ शहर की श्रेणी में आता है। जिसके कारण इंदौर शहर का नाम महज भारत में ही नहीं विदेशों में भी चर्चा का केंद्र बिन्दु बन गया है। स्वच्छता मॉडल को अपनाने के लिए देश विदेश के लोग इंदौर आ रहे है। अब तक देश के अलग अलग शहरों के 700 शहरों के प्रतिनिधि स्वच्छता मॉडल को देखने के आ चुके हैं। वहीं अब इंदौर का स्वच्छता मॉडल बांग्लादेश में भी लागू करने की बात चल रही है। जिसके लिए बांग्लादेश ने इंदौर में एक टीम भेजी है।

बांग्लादेश के 13 सदस्यीय टीम ने लिया जायजा

देश में स्वच्छता के मामले में नंबर एक इंदौर के स्वच्छता मॉडल का जानने के लिए बांग्लादेश का एक टीम मंगलवार को इंदौर पहुंचा। इस टीम में 13 बांग्लादेशी थे। जिन्होंने शहर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी इकट्ठा किया। इसके साथ ही सॉलिड वेस्ट मैनजमेंट सिस्टम को भी समझा बारीकी से समझा।

13 सदस्यीय टीमों में मंत्री और जनप्रतिनिधि रहे शामिल

बांग्लादेश के 13 सदस्यीय टीमों में मुख्य रुप से पॉवर डिविजन मिनिस्ट्री ऑफ पॉवर एनपीडी बांग्लादेश के ज्वाइंट सेक्रेटरी निरोद चंद्र मंडल, डिप्टी सेक्रेटरी मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर बांग्लादेश मो. इमाम खान, ज्वाइंट सेक्रेटरी ऑफ लोकल गर्वमेंट मो. सैफुल इस्लाम मजुमदार शामिल थे। इसके अतिरिक्त कुरैशी महमुदीन, मो. रहमान, ममूनुर रशीद सहित बांग्लादेश के विभिन्न शहरों के जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अफसर शामिल रहे

शहर के कई इलाकों का किया भ्रमण

बांग्लादेश से आए प्रतिनिधि को इंदौर की निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने स्वच्छता मॉडल को प्रेजेंटेशन के माध्यम से समझाया। बांग्लादेश की टीम ने शहर के कई इलाकों में जाकर कचरा वाहनों की मॉनिटरिंग एकीकृत कमांड कंट्रोल सेंटर को समझा। और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और स्वच्छता मॉडल को लागू करने का विचार करेगा।

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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