Indore News : निजी अस्पताल में प्रोफेसर की मौत, परिजनों ने लगाए संगीन आरोप

Atul Saxena
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इंदौर, आकाश धोलपुरे।  इंदौर (Indore) में एक बार फिर निजी अस्पताल पर लापरवाही और दवाओं के ओवरडोज (Overdose) के संगीन आरोप लगे है। परिजनों के मुताबिक अस्पताल की मनमानी के चलते उनके परिवार के मुखिया की मौत हो गई है।

दरअसल, इंदौर के एक निजी अस्पताल में 40 वर्षीय प्रोफेसर की बीमारी के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई। मामला इंदौर के सीएचएल अस्पताल का है जहां 31 अगस्त को प्रोफेसर किशोर पिता रमेश सोलंकी को सांस न ले पाने के चलते भर्ती कराया गया था। हालांकि इसके एक अन्य निजी अस्पताल में सिटी स्कैन की सुविधा न होने के चलते सीएचएल हॉस्पिटल रैफर किया गया था।

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प्रोफेसर किशोर सोलंकी के परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर्स ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि प्रोफेसर किशोर सोलंकी की हालत खतरे से बाहर है लेकिन उन्हें 72 घण्टे तक वेंटिलेशन पर डॉक्टर्स की देख रेख में रखना पड़ेगा। प्रोफेसर की पत्नी सीमा सोलंकी की माने तो वेंटिलेटर पर जाने से पहले उनके पति ने उनसे बात की थी और उन्हें घर ले जाने की बात की थी लेकिन डॉक्टर नही माने और उन्हें बेहोशी के इंजेक्शन लगाए और इसके बाद हर रोज डॉक्टर उनके होश में आने का दावा करते रहे। लेकिन जब परिजनों ने जब हंगामा मचाया तो डॉक्टर्स ने एक घण्टे के बीच ही प्रोफेसर को मृत घोषित कर दिया। मृतक प्रोफेसर के परिजनों का आरोप ये भी अधिक मात्रा में उन्हें बेहोशी की दवा दी गई थी जिसके कारण ही उनकी मौत हुई है।

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दरअसल, द्वारकापुरी थाना क्षेत्र के विदुर नगर में रहने वाले प्रोफ़ेसर किशोर सोलंकी की तबीयत अचानक बिगड़ी और परिजनों ने इलाज के लिए इंदौर की सीएचएल अस्पताल में भर्ती कराया। मरीज की हालत को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने बेहतर इलाज देने का आश्वासन देकर पहले प्रोफेसर किशोर को दवाएं दी और फिर परिजनों को सूचना दी वेंटिलेटर पर रख दिया। 48 से 72 घंटे किशोर को वेंटिलेटर पर रखा गया और अंत में 10 से ज्यादा दिन बीत जाने के बाद भी प्रोफेसर को होंश नही आया। जब परिजनों ने इलाज को लेकर हंगामा मचाया तो अस्पताल ने प्रोफेसर की मौत की जानकारी दी। इसके बाद आक्रोशित परिजनों ने सीधा आरोप अस्पताल प्रबंधन पर लगाया और मामले की शिकायत एमआईजी पुलिस को की।

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प्रोफेसर की अस्पताल में मौत के मामले में पुलिस ने निष्पक्ष जांच करने का दावा कर दोषियों पर कार्रवाई की बात की है। एमआईजी पुलिस के जांच अधिकारी शिव कुमार मिश्रा ने बताया कि पुलिस ने मामले में जांच कर आगे की कार्रवाई करेगी। वही पुलिस ने प्रोफेसर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। बता दे कि पिछले माह इंदौर के अरिहंत अस्पताल में 3 साल के मासूम की मौत हो गई थी तब भी परिजनों ने बेहोंशी की दवा के ओवरडोज का आरोप अस्पताल प्रबंधन पर लगाया था और अब प्रोफेसर की मौत की वजह भी वही बताई जा रही है।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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