इंदौर/महू।
जब जब देश-प्रदेश में चुनाव होते है महू सियासत का केन्द्र बन जाता है। यूपी के बाद दलित वोटरों को साधने के लिए राजनैतिक दल और नेता यहां बड़ी संख्या में पहुंचते है। बीते साल भी नेताओं का जमावड़ा यहां देखने को मिला था, चुंकी इस बार लोकसभा चुनाव के बीच बाबा साहेब की जयंती आई है, इसलिए कांग्रेस-बीजेपी के बड़े नेताओं के यहां आने की पूरी संभावना जताई जा रही है।इसी बीच कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के भी यहां पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। खबर है कि राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में अधिकारियों को भी निर्देश जारी कर दिए गए है। वही आचार संहिता के लागू होने के चलते जिला प्रशासन ने भी सुरक्षा बढ़ा दी है। इधर, आयोग भी अपनी पैनी नजर जमाए हुए है।
दरअसल, 14 अप्रैल को देश के संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव आंबेडकर 129 वीं जयंती है। हर साल की तरह इस बार भी प्रदेश सरकार यहां आयोजन करवाने जा रही है, जिसमें दो लाख लोगों के आने की संभावना है। वही लोकसभा चुनाव को देखते हुए बड़ी संख्या में राजनेताओं के पहुंचने की भी उम्मीद है। इस अवसर पर मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ ही उनके मंत्रीमंडल के कई मंत्री भी उपस्थित रहेंगे। खबर है कि दलित वोटरों को साधने के लिए कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई बड़े नेता यहां पहुंच सकते है।खबर है कि सरकार ने अफसरों को इस संबंध में निर्देश भी दिए हैं। साथ ही कांग्रेस के पदाधिकारियों को भी राहुल गांधी की यात्रा की तैयारियों के लिए कहा गया है। हालांकि इस बार लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण नेता मंच साझा नहीं कर सकेंगे। वे प्रतिमा पर माल्यार्पण करके रवाना हो जाएंगे।
कांग्रेस की इन सीटों पर नजर
सुत्रों की माने तो कांग्रेस की नजर इस बार महू के आसपास केन्द्र पर रहने वाली सीटों पर है। इंदौर-उज्जैन संभाग के 8 लोकसभा सीटों में से 5 सीटे सुरक्षित है। केवल इंदौर, खंडवा और मंदसौर की सीट सामान्य है। वहीं धार, रतलाम, झाबुआ, खरगोन, उज्जैन, देवास-शाजापुर की सीटें सुरक्षित है और इन पांच सुरक्षित सीटों पर बाबा साहब समर्थकों का बाहुल्य है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ राहुल गांधी आ सकते है। हालांकि उन्हें यहां सभा की अनुमति नही रहेगी लेकिन लोगों से रुबरु होने का मौका मिल सकता है।
प्रशासन अलर्ट, चप्पे-चप्पे पर नजर
वही राजनेताओं के पहुंचने की संभावना के चलते जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दिया है।चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है। हर बार की तरह इस बार फिर दो लाख से ज्यादा लोगों के पहुंचने की उम्मीद है।वही आचार संहिता लागू होने से जिला प्रशासन ने आयोग से कार्यक्रम की अनुमति ले ली है। आयोग के निर्देशानुसार कार्यक्रम पूरी परंपरा के साथ होगा लेकिन प्रशासन राजनीतिक दलों को दूर रखेगा। न राजनीतिक मंच लगेंगे, न सभा होगी, न ही किसी राजनीतिक दल के नेता को बुलावा भेजा जाएगा। मंच पर कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं रहेगा। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां दलित एजेंडे को आगे रखते हुए समारोह के बहाने दलितों को नहीं लुभा पाएंगी।
सालों से यहां नेताओं का लगता आया है जमावड़ा
बीते साल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यहां आए थे। इससे पहले वर्ष 2016 में 125वीं जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी व 124वीं जयंती पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी आए थे। सबसे ज्यादा नेताओं का जमावड़ा वर्ष 1991 में 100वीं जयंती पर हुआ था। तब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया. बसपा के संस्थापक कांशीराम, मायावती सहित कई दिग्गज नेता महू आए थे। वर्ष 2009 में दलाई लामा भी महू आ चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपनी सरकार के समय नियमित यहां आते रहे हैं। इसके अलावा भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद, सुशीलकुमार शिंदे भी यहां आते रहे हैं।