अनूठा सम्मान समारोह, दिव्यांग शिक्षकों को किया गया सम्मानित

Gaurav Sharma
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इंदौर, डेस्क रिपोर्ट।इंदौर के एक संगठन युवा विकलांग मंच ने एक अनोखा कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के तहत 40 दिव्यांग शिक्षकों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मालवा अंचल के विभिन्न जिलों के शिक्षक सम्मानित हुए। मुख्य अतिथि के रुप में पूर्व आईएएस राकेश श्रीवास्तव ने इन्हें सम्मानित किया।

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इंदौर के खजराना गणेश मंदिर प्रांगण के कंचन हॉल में एक अनोखा सम्मान समारोह हुआ। युवा विकलांग मंच ने इस सम्मान समारोह को आयोजित किया। इसमें इंदौर, देवास, नीमच ,मंदसौर, पूना और देपालपुर सहित अनेक शहरों के 40 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक सूर्य प्रकाश जायसवाल ने बताया कि इसमें विशिष्ट श्रेणी के 8 शिक्षकों को सम्मानित किया गया जिनमें अस्थि बाधित, दृष्टिबाधित एवं लाइफ टाइम अचीवमेंट श्रेणी रही। प्रत्येक श्रेणी में एक शिक्षक और एक शिक्षिका को सम्मानित किया गया।

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इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंदौर के जिलाधीश रहे और मध्य प्रदेश सरकार में जनसंपर्क आयुक्त, आबकारी आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे पूर्व आईएएस राकेश श्रीवास्तव ने मुख्य अतिथि के रूप में लोगों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में श्रीमती सुचित्रा तिर्की बैग संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय खजराना मंदिर के पुजारी विनीत भट्ट? गणेश मंदिर के प्रबंधक घनश्याम शुक्ला ने भी शिरकत की। समाज की दिव्यांगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से रखे गए इस अर्थपूर्ण आयोजन का संचालन शिक्षाविद एवं समाज सेवी श्रीमती लिली डाबर ने किया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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