लोकसभा चुनाव से पहले मालवा पर संघ का फोकस, इन सीटों पर मंडरा रहा हार का खतरा

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इंदौर। मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता से बेदखल हुई भाजपा ने अब लोकसभा की तैयारियां तेज कर दी हैं। अपने इस गढ़ में वापसी के लिए भाजपा ग्राउंड स्तर पर संगठन को मजबूत करने में जुट गई है। डैमेज कण्ट्रोल के लिए संघ ने मैदान संभाल लिया है|  मंगलवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत अपने तीन दिवसीय मध्यप्रदेश के दौरे पर इंदौर पहुंचे है। यहां उन्होंने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मालवा में गतिविधियां बढ़ाने और एकजुटता से आगे आने की बात कही।  पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा की पकड़ इस क्षेत्र में ढीली हुई, जबकि यह इलाका संघ का मजबूत गढ़ माना जाता है लेकिन इस बार यहां कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ था। इसी के चलते संघ इसे मजबूत करने में जुटा हुआ है, ताकी लोकसभा चुनाव में इसका फायदा मिल सके। कई सीटों पर बीजेपी को हार का ख़तरा महसूस हो रहा है| 

भागवत ने कहा कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस बार सबसे ज्यादा नुकसान इंदौर संभाग की विधानसभा सीटों पर हुआ। इस वजह से भाजपा की प्रदेश में सरकार भी नहीं बन पाई है। मालवा-निमाड़ की कुछ ग्रामीण सीटें ऐसी हैं, जहां संघ का प्रभाव ज्यादा है। मालवा क्षेत्र में संघ की गतिविधियों का विस्तार किया जाए। ज्यादा क्षेत्रों में शाखाएं लगाई जाएं। उन्होंने पदाधिकारियों से संघ के विस्तार को लेकर चर्चा की। संघ प्रमुख ने कहा- आईआईटी, आईआईएम और अन्य उच्च शिक्षित युवा संघ से जुड़ना चाहते हैं, ऐसे युवाओं से संपर्क करें और उन्हें जोड़ें। लोकसभा चुनाव में एक-दो टिकट संघ कोटे से भी तय हो सकते हैं। इस दौरान विधानसभा चुनाव के बाद बदले हालातों पर भी चर्चा की गई और  संघ की सालाना गतिविधियों की समीक्षा की के साथ साथ आगामी कार्यक्रमों के बारे में भी बताया गया। 

इन बातों पर रहेगा फोकस

तीन दिवसीय दौरे के दौरान आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत संघ प्रमुख, कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों और प्रबुद्ध लोगों संग चर्चा करेंगे। बैठक में संघ की प्रयोगशाला और भाजपा का अभेद्य गढ़ माने जाने वाले मालवा-निमाड़ में बीते विधानसभा चुनाव में मिली शिकस्त और क्षेत्र से खिसके जनाधार को हासिल करने जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी।लोकसभा चुनाव से पहले होने वाली ये मैराथन बैठके बेहद ही अहम मानी जा रही है। चुंकी पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा की पकड़ इस क्षेत्र में ढीली हुई, जबकि  यह इलाका संघ का मजबूत गढ़ माना जाता है लेकिन इस बार यहां कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ था। इसी के चलते संघ इसे मजबूत करने में जुटा हुआ है, ताकी लोकसभा चुनाव में इसका फायदा मिल सके।वे अपने इस तीन दिनी दौरे में राम मंदिर, आतंकवाद और लोकसभा चुनाव जैसे अहम मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। 

विधानसभा की हार से लिया सबक

संघ सूत्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार की बड़ी वजह कहीं न कहीं संघ के सुझाव और निर्देशों को अनदेखा करना भी है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के कुछ माह पहले ही संघ ने मध्य प्रदेश में भाजपा की खिसकती जमीन के बारे में प्रदेश संगठन को अवगत करवाते हुए टिकटों में बड़े उलटफेर की सलाह दी थी। साथ ही स्थानीय स्तर पर विधायकों के खिलाफ असंतोष की रिपोर्ट भी संघ ने दे दी थी। बावजूद, पार्टी संगठन ने इससे सबक न लेते हुए पुराने तरीके से ही कार्य किया। इसी का परिणाम रहा कि भाजपा किनारे पर आकर हार गई। लेकिन अब लोकसभा चुनाव में बीजेपी यह गलती दोहराना नहीं चाहती। इसीलिए संघ को जिम्मेदारी सौंप दी है और सर्वे कर बीजेपी के फेवर में माहौल तैयार करने को कहा है।

आठ लोकसभा सीटों में से चार खतरे में 

मालवा-निमाड़ क्षेत्र में इंदौर के अलावा, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम-झाबुआ, धार, खरगोन, खंडवा और देवास-शाजापुर सीटें है। भाजपा को धार, रतलाम-झाबुआ, खरगोन और देवास-शाजापुर सीटों पर उलटफेर की आशंका है। इसी नुकसान को थामने के लिए संघ और उसके अनुषांगिक संगठन मैदान संभाले हुए हैं। विधानसभा चुनाव में भी धार-झाबुआ और देवास-शाजापुर में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा था।


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