इंदौर।
पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा है। केन्द्र की मोदी सरकार भी एक के बाद एक एक्शन ले रही है।हर राज्य अपने तरफ से आर्थिक सहायता में भी जुटा हुआ है और पाकिस्तान को मिलने वाली मदद वापस ले रहा है। एमपी में भी जवानों की शहादद को लेकर लोग सहायता के लिए आगे आ रहे है। इसी बीच इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने भी फैसला लिया है कि वह शहीदों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करवाएगा। विश्वविद्यालय के इस फैसला का पूरे प्रदेश ने स्वागत किया है।
दरअसल, कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले को लेकर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य आलोक डावर ने यह प्रस्ताव रखा था कि सारा देश शहीदों के परिवार के लिए कुछ ना कुछ कर रहा है तो हमें भी उनके बच्चों के लिए कुछ करना चाहिए। उन्होंने प्रस्ताव में कहा था कि विश्वविद्यालय को शहीद के बच्चों के मुफ्त शिक्षा देने चाहिए और एडमिशन में भी पचास प्रतिशत की छूट दी जानी चाहिए, ताकी वे पढ़ लिख कर प्रदेश और देश का नाम रोशन कर सके।हालांकि पहले डावर के प्रस्ताव को मान्य नही किया गया। कुलपति का कहना था कि ऐसा करना ठीक नहीं होगा, यूनिवर्सिटी पर भार आएगा, एडमिशन बंद हो जाएंगें।जिस पर कार्यपरिषद सदस्यों ने सवाल खड़ा किया कि यदि विवि अपने कर्मचारियों के बच्चों की फीस पूरी माफ कर सकता है, तो सैनिकों के बच्चों की क्यों नहीं, जो देश के लिए बहुत कुछ कर रहे है।इसको लेकर थोड़ी बहस हुई और प्रस्ताव का स्वीकार कर लिया गया। अगले सत्र से इसे एडमिशन प्रक्रिया में शामिल कर लिया जाएगा। इसको लेकर कोटा भी तैयार किया जाएगा। उधर यूनिवर्सिटी की बजट की बैठक को एक मार्च तक के लिए टाल दिया गया है।
बता दे कि हाल ही में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के एक काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ था जिसमें इस अर्धसैनिक बल के कम से कम 40 जवान शहीद हो गए थे और कई घायल हुए थे। यह हमला पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक आत्मघाती हमलावर ने किया था।