जयस संगठन को लेकर की गई टिप्पणी के बाद मंत्री उषा ठाकुर ने मांगी माफी

Gaurav Sharma
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इंदौर,आकाश धोलपुरे।महू में अंबेडकर विश्वविद्यालय के वन अधिकार उत्सव कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंची उषा ठाकुर ने जय आदिवासी युवा शक्ति याने की जयस को लेकर गम्भीर टिप्पणी की थी और संगठन को देशद्रोही संगठन बता दिया था। इतना ही नहीं मंत्री उषा ठाकुर ने यह भी बताया कि यह संगठन देश के आदिवासियों को देश तोड़ने का प्रशिक्षण दे रहा है जिसके प्रमाण मिले हैं। उन्होंने वहां मौजूद लोगों को शपथ भी दिला दी थी कि वे ऐसे देशद्रोही संगठनों को नहीं पनपने देंगे। मंत्री के बयान के बाद से जयस संगठन से जुड़े लोग जमकर आक्रोश जता रहे है, यहां तक जयस के प्रदेश अध्यक्ष अंतिम मुजाल्दा ने यह तक कह दिया था कि अगर तीन दिन में मंत्री ने माफी नहीं मांगी तो सरकार के खिलाफ न केवल आंदोलन किया जाएगा बल्कि एफआइआर भी दर्ज कराई जाएगी।

इधर, जमकर उठ रहे आक्रोश और आदिवासी संगठन जयस को लेकर मंत्री उषा ठाकुर की टिप्पणी पर विधानसभा में भी हंगामे के बात सामने आई है। अब मंत्री उषा ठाकुर ने स्वयं मीडिया के सामने अपनी कही गई बातों पर माफी मांग ली है। मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि मेरी भावनाओं से मेरे शब्दों से कोई आहत हुआ हो तो मैं क्षमा चाहती हूँ। हालांकि उन्होंने माफी के दौरान ये भी कहा कि आदिवासियों के बीच में कुछ राष्ट्रविरोधी लोग और संगठन काम कर रहे हैं उनसे सतर्क रहना ज़रूरी है।

 

 

बता दें कि प्रदेश में उपचुनाव नजदीक है और ऐसे में मंत्री के बयान से बवाल मच गया था क्योंकि मंत्री उषा ठाकुर की टिप्पणी से आहत आदिवासी संगठनों से जुड़े लोग नाराज दिखाई दे रहे थे जिसका सीधा नुकसान बीजेपी को आने वाले उप चुनाव में मुश्किलो में डाल सकता था लिहाजा, ऐसे में मंत्री ने बैकफ़ुट पर आना ही बेहतर समझा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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