बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा के विरोध में आक्रोश, इंदौर में मंत्री, विधायक और महापौर ने दिया धरना

भाजपा नेताओं ने कहा कि ये आक्रोश सिर्फ हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में नहीं है ये आक्रोश उन मानव अधिकार की बात करने वाली अंतर राष्ट्रीय संस्थाओं के विरोध में भी है जो जिन्हें अजमल कसाब के मानव अधिकार दिखाई देते हैं लेकिन हिन्दुओं पर हो रही बर्बरता पर वे चुप हैं।

Atul Saxena
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protest in Indore

Protest against violence Hindus in Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा के विरोध में इंदौर में भी आक्रोश जाहिर किया गया बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए लोगों ने धरना दिया और कलेक्टर कार्यालय तक रैली निकालते हुए कलेक्टर  आशीष सिंह को ज्ञापन सौंपा।

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रही हिंसा के विरोध में इंदौर में लोगों ने प्रदर्शन किया। यह आक्रोश रैली लालबाग से शुरू होकर कलेक्टर कार्यालय तक निकाली गई रैली में बड़ी संख्या में नागरिकों के अलावा शहर के कई प्रमुख नेता भी शामिल हुए।

बांग्लादेश में हो रही हिंसा रोकने कदम उठाने की मांग 

प्रदर्शन में इंदौर के विधायक, रमेश मेंदोला, प्रदेश के कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट, महापौर पुष्य मित्र भार्गव, एमआईसी सदस्य और पार्षदों ने भी भाग लिया और अपनी चिंता जाहिर की,  रैली के बाद कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शनकारियों ने एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें बांग्लादेश में हो रही हिंसा के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की गई।

मंत्री, विधायक और महापौर ने मानव अधिकार संगठनों को दिखाया आईना 

मंत्री, विधायक और महापौर का कहना था कि  बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ जो हिंसा हो रही है, वह न केवल बांग्लादेश बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है उन्होंने सरकार से इस मामले में सख्त कदम उठाने की मांग की, भाजपा नेताओं ने कहा कि ये आक्रोश सिर्फ हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में नहीं है ये आक्रोश उन मानव अधिकार की बात करने वाली अंतर राष्ट्रीय संस्थाओं के विरोध में भी है जो जिन्हें अखलाख के मानव अधिकार दिखाई देते हैं लेकिन हिन्दुओं पर हो रही बर्बरता पर वे चुप हैं।

इंदौर से शकील अंसारी की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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