मध्य प्रदेश जबलपुर हाई कोर्ट द्वारा सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 के चलते जारी विज्ञापन और शुद्धिपत्र पर स्टे लगा दी गई है। शुक्रवार को चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए विज्ञापन के आधार पर की जा रही समस्त भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने का निर्णय किया।
दरअसल, नियमों का पालन नहीं होने के चलते जबलपुर हाई कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई है। इसके साथ ही हाई कोर्ट द्वारा राज्य सरकार और विधि विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
क्या है यह पूरा मामला?
दरअसल, यह मामला आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अंकों में छूट न देने का है। याचिका के मुताबिक, 195 पदों की भर्ती प्रक्रिया में 61 नए पद और 134 बैकलॉग पद शामिल हैं, जिसमें से 17 अनारक्षित वर्ग के बैकलॉग के रूप में दिखाए गए, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करते हुए असंवैधानिक हैं। यह याचिका एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस द्वारा दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि मध्य प्रदेश सिविल जज भर्ती परीक्षा नियम 1994 और 23 जून 2023 के संशोधन के मुताबिक, प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में आरक्षित वर्ग (ओबीसी, एसटी और एससी) को अंकों में छूट दी जानी चाहिए थी, लेकिन विज्ञापन में आरक्षित वर्ग को छूट नहीं दी गई, जो असंवैधानिक है।
अब नहीं होगी प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा?
वहीं, सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट खंडपीठ ने विधि विभाग और हाई कोर्ट प्रशासन को नोटिस जारी किया और विज्ञापन व शुद्धिपत्र को तत्काल रूप से रोक दिया। वहीं, अब स्टे लग जाने के चलते सिविल जज भर्ती 2022 की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा नहीं होगी। जिन आवेदकों ने इस परीक्षा के लिए आवेदन दिया है, उन्हें कोर्ट के अगले आदेश का इंतजार करना पड़ेगा। इस मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद रखी गई है। तब तक यह भर्ती प्रक्रिया रोक दी गई है।