भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) की जबलपुर ब्रांच ने कलेक्टर (collector) द्वारा जारी किए गए मनमाने निर्देश को स्थगित कर दिया है। कलेक्टर ने विभागीय पदोन्नति समिति (departmental promotion committee) के मूल आदेश के विपरीत मनमाना आदेश जारी किया था। इस मनमाने आदेश को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर ब्रांच ने तवज्जो नहीं दी और स्थगित कर दिया। इसके साथ ही मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए तृतीय श्रेणी कर्मचारी (third tier employee) से रिकवरी लेने पर रोक लगा दी है और राजस्व सचिव, भोपाल संभागायुक्त और कलेक्टर रायसेन को नोटिस जारी किया है। जवाब- तलब हेतु चार सप्ताह का समय भी दिया गया है।
कलेक्टर के मनमाने आदेश का फैसला न्यायालय पहुंचा। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ के समक्ष हुई। याचिकाकर्ता रायसेन निवासी गोविंद प्रसाद के वकील मोहनलाल शर्मा ने दलील दी कि गोविंद प्रसाद 1983 में चपरासी के पद पर नियुक्त हुए थे। विभागीय पदोन्नति समिति ने 1999 में उन्हें तृतीय श्रेणी लिपिक के पद पर पदोन्नत किया। 2012 में मोहनलाल शर्मा की सहायक ग्रेड- टू के पद पर पदोन्नति हुई। प्रथम पदोन्नति के समय आवेदक की उम्र 40 वर्ष से ऊपर होने के कारण पदोन्नति आदेश में हिंदी टाइपिंग की अनिवार्यता को नहीं दर्शाया गया था। लेकिन, 7 फरवरी, 2019 को रायसेन कलेक्टर ने एक आदेश जारी किया जिसके तहत 2006 से 2019 तक प्रथम पदोन्नति के बीच अधिक भुगतान को रेखांकित किया गया और रिकवरी के आदेश दे दिए गए। और रिकवरी का आधार हिंदी टाइपिंग को बताया गया।
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रिकवरी का आदेश कलेक्टर द्वारा दिया गया मनमाना आदेश था जिसके चलते इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी। न्यायालय ने आदेश में कहा कि आगामी आदेश तक याचिकाकर्ता के खिलाफ वसूली नहीं कि जा सकती। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील से सहमत होकर अंतरिम स्थगनादेश को पारित कर दिया ।