किसानों की फसल के लिए अमृत है बिजली
मांग से ज्यादा उपलब्धता यानि सरपल्स बिजली वाले राज्य मध्यप्रदेश में सरकार किसानों को खेती के लिए 10 घण्टे बिजली देने का दावा करती है। इन दिनों मानसून की बेरुखी से किसान परेशान हैं और उन्हें सिंचाई के लिए सबसे ज्यादा बिजली की ही जरुरत है। लेकिन किसानों को निर्बाध सप्लाई की जगह दिन और रात की शिफ्ट में वादे से कहीं कम बिजली दी जा रही है। एक तरफ बिन बरसे आसमान में छाए बादल तो दूसरी तरफ बिजली की ट्रिपिंग किसानों को मुंह चिढ़ा रही है। अब किसान अपनी धान की फसल की रोपाई और फिर सिंचाई करे तो करे कैसे? किसान नेताओं के मुताबिक दो पालियों में मिलाकर सिर्फ 4 से 8 घण्टे बिजली देना किसानों के साथ भद्दा मज़ाक है।
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किसान नेताओं के अलावा खुद भाजपा के विधायक नारायण त्रिपाठी ने बिजली देने के नाम पर सरकारी वादाखिलाफी की शिकायत की है। किसान नेताओं से सुर मिलाते हुए मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी दावे से कह रहे हैं कि संकट की इस घड़ी में भी किसानों को सिर्फ 4- 5 घण्टे ही बिजली दी जा रही है जिस पर कार्यवाई की जानी चाहिए।
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इधर किसानों के अलावा खुद भाजपा के विधायक की इस साफगोई से कांग्रेस को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है। कांग्रेस ने सरकार पर सिर्फ दिखावे की घोषणा करने का आरोप लगाया है और किसानों को निर्बाध बिजली देने की मांग की है। दूसरी तरफ बिजली कंपनियों के आला अधिकारी सरकारी दावे पर कायम हैं। मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर वी.किरण गोपाल का कहना है कि अधिकांश जगहों पर किसानों को खेती के लिए 10 घण्टे बिजली दी जा रही है और कुछ जगह तकनीकि खामियां हो सकती हैं। एमडी वी किरण गोपाल ने ऐसी जगहों पर भी किसानों को निर्बाध बिजली देने की कार्यवाई करने की बात की है।
मध्यप्रदेश में किसानों को सरकारी वादे के मुताबिक 10 घण्टे बिजली ना मिलने की बहस नई नहीं है। लेकिन इन दिनों मौसम की बेरुखी से किसानों की परेशानियों के बीच, खुद भाजपा विधायक के दावे ने सियासत गर्मा दी है बहरहाल,बिजली कंपनी और सरप्लस पावर स्टेट का तमगा चमकाती सरकार को भी देखना होगा कि बिजली के नाम पर अन्नदाताओं से भद्दा मज़ाक ना होने पाए।