कलेक्ट्रेट में तलवार लिए घूम रहा था बुजुर्ग, पुलिस ने लिया हिरासत में

Gaurav Sharma
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a senior citizen was walking around with a sword in collectorate jabalpur

जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर के कलेक्ट्रेट में दोपहर को उस समय हड़कंप मच गया जब पुलिस को सूचना मिली कि एक बुजुर्ग तलवार लेकर कलेक्ट्रेट में घूम रहा है, मौके पर ओमती थाना प्रभारी अपने बल के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे और उस बुजुर्ग की तलाश में जुट गए जो कि तलवार लिए घूम रहा था। कुछ देर बाद पुलिस ने उस बुजुर्ग को ढूढ़ लिया जो कि तलवार लिए हुए था, पुलिस उसे लेकर ओमती थाने ले आई और उससे पूछताछ शुरू कर दी है।

बुजुर्ग खुद को बता रहा था रिटायर्ड सुरक्षा गार्ड

थाना प्रभारी एसपीएस बघेल की पूछताछ में बुजुर्ग ने बताया कि उसका नाम स्वामीनाथ यादव है और कृषि नगर में अकेला रहता है। जबकि उसका परिवार प्रयागराज में है। वो जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय का रिटायर्ड सिक्योरिटी गार्ड है। बुजुर्ग ने बताया कि उसका भविष्य निधि का पैसा मिल गया है पर पेंशन संबंधी समस्या आ रही है। लिहाजा अपनी समस्या लेकर वह कलेक्टर से मिलने आया है पर वह कलेक्टर से मिलता की पहले ही उसे पुलिस ने पकड़ लिया।

कहाँ से लाया है तलवार,पुलिस को नहीं दे सका जवाब

तलवार के विषय में जब थाना प्रभारी एसपीएस बघेल ने बुजुर्ग से पूछा तो वह किसी भी तरह का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया, कभी वह कहता की प्रधानमंत्री कार्यालय से यह तलवार मिली है तो कभी कहता कि भविष्य निधि कार्यालय वालों ने यह तलवार उसे भेंट की है, हालांकि पुलिस ने बुजुर्ग के पास रखे तमाम दस्तावेजों को जांच किया तो पाया कि वह है पहले सेना में कार्यरत था और उसके बाद फिर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी किया करता था, बुजुर्ग के पास से उनकी पुलिस को पैन कार्ड- आधार कार्ड सहित कई अन्य दस्तावेज भी मिले हैं।

कलेक्ट्रेट में तलवार लेकर घूमना है अपराध, न्यायालय ने भेजा बुजुर्ग को जेल

कलेक्ट्रेट में धारा 144 लगी हुई है लिहाजा किसी भी तरह का अवैध हथियार लेकर घूमना कलेक्ट्रेट में अपराध है लिहाजा पुलिस ने बुजुर्ग के खिलाफ आर्म्स एक्ट की कार्रवाई करते हुए उसे न्यायालय में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया,ओमती पुलिस अब बुजुर्ग के परिजनों के संपर्क में जुटी हुई है पुलिस का कहना है कि संदेह यह भी जताया जा रहा है कि बुजुर्ग मानसिक रूप से डिस्टर्ब है लिहाजा जब बुजुर्ग स्वामीनाथ के परिजन जबलपुर आएंगे तब ही कुछ और कहा जा सकता है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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