पात्र होने के बाद भी नही मिला MBBS में प्रवेश, छात्र ने ठोका 10 करोड़ का दावा

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जबलपुर/खंडवा।

व्यापमं घोटाले से पीडित एक छात्र ने 10 करोड़ रुपए मुआवजे की मांग करते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है।छात्र ने याचिका में डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और निजी मेडिकल कॉलेजों से निजी तौर पर मुआवजा दिलाए जाने की मांग की गई है।हाईकोर्ट के जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगलपीठ ने राज्य शासन, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और प्रदेश के 8 मेडिकल कॉलेज संचालकों को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल, यह याचिका खंडवा के छात्र प्रांशु अग्रवाल की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में नीट में 132 अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को एमबीबीएस में एडमिशन दे दिया गया था जबकि उसे मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट में 413 अंक मिले थे बावजूद इसके प्रदेश के किसी भी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में प्रवेश नहीं दिया गया।  छात्र सत्र 2017- 2018 की पीएमटी में शामिल हुआ था। छात्र का आरोप है कि अच्छे नंबर होने के बावजूद उसे मेडिकल कॉलेज में दाख़िला नहीं मिला, जबकि उससे बहुत कम नंबर वाले अपात्र छात्रों को एडमिशन दे दिया गया।जिसके चलते एमबीबीएस में प्रवेश न देने से नाराज छात्र ने 10 करोड़ रुपए मुआवजे की मांग करते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। याचिका में डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और निजी मेडिकल कॉलेजों से निजी तौर पर मुआवजा दिलाए जाने की मांग की गई है। 

खास बात ये है कि छात्र ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को ध्यान में रखते हुए याचिका दायर की है जिसमें ग़लत तरीके से प्रवेश पाए 94 छात्रों का प्रवेश निरस्त कर दिया गया था। लेकिन सभी बर्खास्त छात्रों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित छात्रों को मुआवज़ा दिलाने का आदेश दिया था।


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