एंग्लो इंडियन कोटे से विधायक के मनोनयन की तैयारी, उपभोक्ता मंच की आपत्ति

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जबलपुर| देश की लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में एंग्लो इंडियन समाज से सदस्यों के मनोनयन को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है जिसपर हाईकोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है| मामला हाईकोर्ट में लंबित है लेकिन इसी दौरान मध्यप्रदेश सरकार की ओर से राज्यपाल को एक प्रस्ताव भेजा गया है जिसमें विधानसभा में एक एंग्लो इंडियन विधायक के मनोनयन पर मुहर लगाने की मांग की गई है… ऐसे में हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले जबलपुर के सामाजिक संगठन, नागरिक उपभोक्ता मंच ने राज्यपाल को पत्र भेज कर मांग की है कि मामला सब-ज्यूडियश होने के कारण वो राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी ना दें| संगठन ने जबलपुर हाईकोर्ट में भी एक इंटरिम एप्लीकेशन दायर कर जल्द सुनवाई की मांग की है और हाईकोर्ट को जानकारी दी है कि कैसे राज्य सरकार एंग्लो इंडियन कोटे से विधायक के मनोनयन की तैयारी कर रही है… 

बता दें कि हाईकोर्ट में दायर याचिका में संविधान में हुए पन्चान्नवें संशोधन को चुनौती दी गई है जिसके तहत एंग्लो इंडियन समुदाय को दिए जाने वाले कोटे की सीमा सन् 2020 तक बढ़ा दी गई है… संविधान के लागू होने के वक्त एंग्लो इंडियन समाज से विधानसभाओं में एक और लोकसभा में दो सदस्यों के मनोनयन का प्रावधान सिर्फ दस सालों के लिए किया गया था लेकिन इसे लगातार बढ़ाया जाता रहा और संविधान में हुए पन्चान्नवें संशोधन से इसकी सीमा साल 2020 तक बढ़ा दी गई| 

बता दें कि एंग्लो इंडियन उसे माना जाता है जो भारत में रहता हो लेकिन उसके पूर्वज यूरोपीय वंश के हों.. भारत में सिर्फ एंग्लो इंडियन समाज ही ऐसा है जिसके सदस्यों को सीधे विधानसभा में विधायक और लोकसभा में सांसद के पद पर मनोनीत कर दिया जाता है| .एंग्लो इंडियन कोटे से विधायक और सांसद बनने वाले सदस्यों को आम विधायकों और सांसदों की तरह विधानसभाओं और लोकसभा में वोटिंग के भी अधिकार रहते हैं और इन्हें मनोनीत करने वाले सियासी दल इनका इस्तेमाल सदन में अपना संख्याबल बढ़ाने के लिए करते हैं.. एंग्लो इंडियन समाज को मिले इस विशेषाधिकार को याचिका में संविधान से मिले समानता के अधिकार के खिलाफ बताया गया है… जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले पर बीते दिनों केन्द्र और राज्य सरकार के खिलाफ नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था लेकिन इसके बाद राज्य सरकार की ओर से राज्यपाल को भेजे गए मनोनयन प्रस्ताव का अब विरोध हो रहा है और याचिकाकर्ता ने राज्यपाल को पत्र लिखकर हाईकोर्ट में भी अंतरिम आवेदन दायर किया है।


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