जबलपुर, संदीप कुमार। मध्य प्रदेश हाईकार्ट (MP High Court) ने आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस (OBC/SC/ST) के पुलिस आरक्षकों को राहत देते हुए DGP और एडीजीपी (प्रशासन) को 2 महीने के अंदर चॉइस के आधार पर पोस्टिंग देने के आदेश दिए है।
दरअसल साल 2017 की पुलिस भर्ती में आरक्षित वर्ग यानी (OBC/SC/ST) के अभ्यर्थी मेरिट में आने के बाद उनका चयन अनारक्षित (ओपन) वर्ग में किया गया था, लेकिन उनको उनकी पसंद के आधार पर पोस्टिंग नहीं दी गई थीं। सभी आरक्षित वर्ग के लोगों को अनारक्षित वर्ग में चयन होने के बाद भी सभी को SAF बटालियनों में पदथापना दी गई थी । जबकि उनको मेरिट के बेस पर जिला पुलिस बल, स्पेशल ब्रांच, क्राइम ब्रांच आदि शाखाओ में पदस्थापना दी जाना थी।
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लिहाजा याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि पुलिस विभाग (MP Police) द्वारा वर्ष 2017 की भर्ती में अपनाई गई प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश एवम फैसलों के अनुसार नहीं है, वकील ने सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बैंच द्वारा इंद्रा शाहनी बनाम भारत संघ, भारत संघ बनाम रमेश राम, रीतेश आर शाह जैसे दर्जनों फैसलों से कोर्ट को अवगत कराया।
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वकील ने कोर्ट को बताया कि आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थी को अपनी पसंद के पद पर पोस्टिंग (meritorious police constable posting case) प्राप्त करने का कानूनी अधिकार है। अर्थात याचिकाकर्ताओं ने अपनी पहली पसंद की वरीयता में जिला पुलिस बल, स्पेशल ब्रांच आदि में दी थी लेकिन पुलिस विभाग ने मनमाने रूप से पोस्टिंग कर दी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद ग्रह सचिव, पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महा निरीक्षक को आदेश देते हुए 60 दिनों के अंदर याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आधार पर उनकी पसंद के आधार पर पदस्थापना देने का आदेश दिया।