NEET UG 2024: देशभर में नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट-स्नातक को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। अब मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में भी नीट यूजी परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई है। जबलपुर निवासी छात्रा अमीषी वर्मा ने परीक्षा में हुए अनियमितता को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका पर सोमवार को सुनवाई होने की संभावना है।
याचिका में प्रणाली पर छात्रा ने उठाए कई सवाल
आमीषी वर्मा को परीक्षा में 720 में से 615 अंक मिले हैं। जिसके बाद याचिकाकर्ता छात्रा ने नीट परीक्षा में भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। याचिका में एक कोचिंग सेंटर के आठ छात्रों के नाम व रोल नंबर एक समान होने का हवाला दिया गया है। याचिका में बताए गए सभी 8 छात्रों को परीक्षा में शत प्रतिशत अंक मिलने का आरोप भी लगाया गया है। साथ ही नीट की परीक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। एक ही कोचिंग संस्थान के 6 छात्रों को शत प्रतिशत अंक और दो को 718 और 719 अंक प्राप्त होने पर भी सवाल खड़े किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर
बता दें कि नीट यूजी को कथित धांधली का मामला अब सुप्रीम तक भी पहुँच चुका है। उम्मीदवारों के एक समूह ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। याचिका में नीट यूजी परीक्षा में गड़बड़ी की बात कही गई है। छात्र निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। पुनः परीक्षा आयोजित करवाने की मांग भी की जा रही है। परीक्षार्थियों के पेपर लीक के साथ-साथ सिस्टम पर अन्य कई आरोप भी लगाए हैं।
रिजल्ट को लेकर क्यों हो रहा विवाद?
यूजी परीक्षा का आयोजन 5 मई को देशभर के विभिन्न शहरों में हुआ था। जिसमें करीब 24 लाख छात्र शामिल हुए थे। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने 14 जून को जारी होने वाले परिणाम 4 जून को घोषित कर दिए हैं। 67 उम्मीदवारों ने रैंक 1 हासिल की है। जिसे लेकर यह विवाद है कि एक साथ इतने छात्रों ने टॉप कैसे किया। कई छात्रों को 718 या 719 अंक मिले हैं। ऐसे में सवाल यह है कि यदि कोई छात्र सभी प्रश्न करता है तब 720 अंक मिलते हैं, वहीं यदि कोई छात्र एक प्रश्न छोड़ता है तो उसे 716 अंक मिलते हैं। फिर छात्रों को इतने अंक कैसे मिलें? इतना ही एक ही कोचिंग के 8 छात्रों को 720 अंक प्राप्त होने पर भी उम्मीदवारों ने सवाल खड़े किए हैं।
एनटीए ने बताई ये वजह
हालांकि इस मामले में नीट यूजी परीक्षा को लेकर किसी प्रकार के अनियमितता ने इनकार किया है। एनटीए के मुताबिक छात्रों को समय की हानि के कारण ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं।कुछ केंद्रों पर 20 मिनट देरी से प्रश्न पत्र दिए गए थे। जिसकी शिकायत बच्चों ने एजेंसी से की थी। जिसके बाद उन्हें ग्रेस मार्क्स दिया गया। एनसीईआरटी की नई और पुरानी किताबों के अनुसार दो अलग-अलग ऑप्शन सही होने पर भी छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिया गया। इसलिए छात्रों के अंक 718 या 719 हुए।