आबकारी विभाग की अवैध शराब निर्माण के खिलाफ कार्रवाई, फैक्ट्री को किया आग के हवाले

जबलपुर, संदीप कुमार

तू डाल डाल तो मैं पांत पांत, कुछ ऐसी ही कहानी जबलपुर में शराब माफिया और आबकारी महकमे के बीच चल रही है। चलाक शराब माफिया से निपटने के लिए अब आबकारी महकमे की टीम ने जंगलों की खाक छानने का फैसला किया है। महकमे की टीम ने गधेरी के जंगलों में अवैध शराब निर्माण की खबर पर दबिश दी है।

टीम जंगलों का चप्पा चप्पा छानते हुए उस जगह पहुंच गई जहां बड़े पैमाने पर अवैध शराब बनाई जा रही थी। शराब निर्माण की बीच जंगल में लगी इस फेक्ट्री ने महकमे के लोगों को भी हैरत में डाल दिया। मौके पर मौजूद 25 ड्रामों में करीब 5 हजार किलो महुआ और लाहान मिला, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कच्ची शराब कितने बड़े पैमाने में बनाई जा रही थी।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।