सरकारी अस्पताल में इलाज करता मिला फर्जी डॉक्टर, पुलिस को सौंपा

Atul Saxena
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जबलपुर, संदीप कुमार। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Netaji Subhash Chandra Bose Medical College Hospital) के स्टाफ ने एक ऐसे युवक को पकड़ा है जो अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रहा था लेकिन डॉक्टर नहीं था। कड़ाई से पूछताछ करने पर उसने बताया कि वो डॉक्टर बनना चाहता था लेकिन बन नहीं पाया, अब वो नकली डॉक्टर(Fake Doctor) बनकर अच्छे इलाज के नाम पर लोगों को लूटता है।  अस्पताल स्टाफ ने नकली डॉक्टर को पुलिस को सौंप दिया है।

जबलपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में आज एक 23 वर्षीय युवक नकली डॉक्टर बन कर मरीजों का इलाज करते हुए दबोचा गया है, सुरक्षा गार्डों के हत्थे चढ़ा युवक 10वीं पास है जो खुद को डॉक्टर बता रहा था, लेकिन जब उससे डिग्री मांगी गई तो वह घबरा गया और भागने की कोशिश करने लगा।

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पकड़े गए युवक का कहना था कि वह डॉक्टर बनना चाहता था लेकिन बन नहीं पाया और इसके बाद डॉक्टर बनकर लोगों को लूटने लगा। सुरक्षा कर्मचारियों ने बताया कि पूछताछ करने में युवक ने बताया कि वह विजय नगर में रहता है उसका नाम शनि पिता तुलसीराम चक्रवती है, वह काफी समय से अस्पताल में फर्जी डॉक्टर का काम कर रहा है, मरीज के परिजनों को अच्छा और जल्दी इलाज दिलाने की आड़ में उनसे पैसा लेता था, पैसा मिलने के बाद वह फरार हो जाता था।अस्पताल की सुरक्षा एजेंसी के स्टाफ ने फर्जी डॉक्टर को गढ़ा पुलिस के हवाले कर दिया।

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सुरक्षा एजेंसी के कर्मचारियों ने बताया कि बहुत समय से युवक पर सुरक्षा गार्ड नजर रखे हुए थे,  युवक की चाल-ढाल देखकर कहीं से नहीं लगता था कि वह डॉक्टर है, वह रोजाना स्टेथिस्कोप पहनकर अस्पताल पहुंचता था।  आज सूचना मिली कि ओपीडी नंबर 4 में उक्त युवक मरीजों का इलाज कर रहा है, सुरक्षा एजेंसी के कर्मचारियों ने ओपीडी नंबर 4 पहुंचकर देखा तो युवक मरीजों का इलाज कर रहा था। उसे पकड़कर जब पूछा गया कि वो किस विभाग में पदस्थ है तो वह घबरा गया, उससे डिग्री मांगी गई तो वह चिल्लाने लगा। सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह डॉक्टर नहीं है वसूली करने के लिए फर्जी डॉक्टर बनकर अस्पताल पहुंचता था।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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