जबलपुर : बीजेपी के मेयर प्रत्याशी डॉ जामदार के हॉस्पिटल सहित 52 अस्पतालों में भर्ती पर रोक, कलेक्टर का फरमान

-Notices-to-stop-the-salary-increment-of-three-doctors

जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। जबलपुर में हुई दुर्घटना के बाद कलेक्टर ने बड़ी कार्रवाई की है। 52 निजी अस्पतालों को नोटिस जारी करते हुए उनसे सारे दस्तावेज तलब कर लिए हैं और दस्तावेजों के प्रमाणीकरण होने तक इन सभी अस्पतालों में मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी गई है। जबलपुर कलेक्टर के इस आदेश ने शहर के 52 निजी अस्पताल और नर्सिंग होम्स संचालकों के होश उड़ा दिए है कलेक्टर टी इलैया राजा के इस आदेश के बाद शहर में डाक्टर्स के बीच हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।

यह भी पढ़ें… Commonwealth Games 2022 : लॉन बॉल्स में भारत ने इतिहास रचते हुए जमाया गोल्ड मेडल पर कब्जा

जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में हुई भीषण आग की घटना के बाद जिला प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। कलेक्टर इलैयाराजा के निर्देश पर सीएमएचओ ने आदेश जारी किए हैं कि जबलपुर के 52 निजी अस्पतालों मे मरीजों की भर्ती पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाता है और इन अस्पतालों में जो भी मरीज भर्ती हैं उन्हें दूसरे अधिकृत अस्पतालों या मेडिकल कॉलेज जबलपुर में भर्ती करने के निर्देश दिए गए हैं ।ऐसा न करने पर इन अस्पतालों के पंजीयन निरस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। आम जनता से भी अपील की गई है कि जब तक इन 52 अस्पतालों को क्लीन चिट विभाग द्वारा नहीं मिलती तब तक इन अस्पतालों में भर्ती के लिये न जाऐ। इन अस्पतालों में जबलपुर से मेयर पद के प्रत्याशी रह चुके डॉक्टर जामदार का अस्पताल भी शामिल है। सभी 52 अस्पतालों निजी नर्सिंग होम से सभी वे दस्तावेज मांगे गए हैं जो किसी भी अस्पताल के संचालन के लिए आवश्यक होते हैं। हालांकि इस आदेश के बाद जबलपुर के इन 52 निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की व्यवस्था कैसे सुनिश्चित हो पाएगी, एक बड़ा सवाल है क्योंकि बड़ी संख्या में निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज चल रहा है और सरकारी तंत्र क्या इतना सक्षम है कि वह इन मरीजों के दबाव को झेल पाएगा। लेकिन फिलहाल कलेक्टर ने जिससे कङाई के साथ ही कार्रवाई की है उसकी प्रशंसा की जा रही है। गौरतलब है कि जिन 52 निजी अस्पताल और नर्सिंग होम्स को नोटिस जारी किया गय है, उनमें शहर के लगभग सभी बड़े अस्पताल है, जो ना सिर्फ भाजपा नेताओं के है, बल्कि कई रसूखदारों और बड़े नेताओं का का इन अस्पताल संचालकों के सिर पर हाथ है यही कारण है कि इनकी शिकायते मिलने के बावजूद आज तक इन पर कार्रवाई नहीं की गई।


About Author
Avatar

Harpreet Kaur