जबलपुर : लापरवाही को लेकर पहले भी सुर्खियों में रहा न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल

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जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। जबलपुर (jabalpur) के दमोह नाका स्थित न्यू लाइफ मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में बड़ा हादसा सामने आया है, अस्पताल मे शॉर्ट सर्किट के बाद लगी आग में 8 से ज्यादा मरीजों की मौत और करीबन 10 से ज्यादा मरीजों के गंभीर रूप से घायल होंने की खबर है, हालांकि यह अस्पताल हमेशा विवादो में रहा है, अग्निकांड की आज की घटना से पहले यह अस्पताल कोरोना संक्रमणकाल के दौरान भी सुर्खियों में आया था, अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में भी इस अस्पताल का नाम सामने आया था जिसके बाद पुलिस ने जांच में न्यू लाइफ मेडिसिटी हॉस्पिटल के कर्मी शहनवाज को गिरफ्तार किया था, ने रिमांड के दौरान कई अहम राज उगले। पुलिस ने दो दिन की रिमांड पर उसे लिया है। पूछताछ में पता चला, अस्पताल प्रबंधन के इशारे पर सामान्य मरीजों के नाम पर भी रेमडेसिविर इंजेक्शन आवंटित कराया जाता था। इसके बाद उसे 25 हजार रुपए में बेचा जाता था।

जानकारी के अनुसार आरोपी शहनवाज और विवेक ने अब तक 3 इंजेक्शन बेचने की बात बताई है। इसके पैसे आरोपियों ने आपस में बांट लिए थे। टीआई आरके गौतम के मुताबिक पूछताछ में शहनवाज खान ने बताया कि वे भर्ती मरीजों के नाम पर इंजेक्शन लेते थे। हालांकि इन मरीजों को इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती थी। उसे अधिक कीमत पर बेचते थे।

अस्पताल प्रबंधन व मालिक से होगी पूछताछ

पुलिस ने बताया, आरोपियों से की गई पूछताछ से चंडालभाटा स्थित न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल प्रबंधन की भूमिका भी संदिग्ध मिली है। अस्पताल के कर्मचारियों और अस्पताल मालिक से भी पूछताछ की जाएगी। आरोपी शाहनवाज और विवेक के खिलाफ एनएसए के प्रकरण एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा के निर्देश पर तैयार कर लिए गए हैं। कलेक्टर के समक्ष इसे पेश किया जाएगा।

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी:25 हजार रुपए में बेच रहे थे रेमडेसिविर, दो इंजेक्शन के साथ आरोपी दबोचे गए, तीन पहले ही बेच चुके थे

यह पूरा मामला
गोहलपुर पुलिस ने क्राइम ब्रांच के साथ मिलकर बाइक एमपी 20 एनयू 3142 के चालक मौलाना वार्ड छोटी मस्जिद के पास पनागर निवासी शहनवाज खान और सीएमएस कंपाउंड घमापुर निवासी विवेक को गिरफ्तार कर दो रेमडेसिविर इंजेक्शन, चार मोबाइल जब्त किए थे। आरोपियों के खिलाफ धारा 3/7 ईसी एक्ट, 188 269 270 भादवि, 53, 57 आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, 5/13 ड्रग कंट्रोल एक्ट 1949 और महामारी अधिनियम 1897 की धारा 3 का प्रकरण दर्ज कर जांच में लिया है।


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Harpreet Kaur

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