Jabalpur News : नए नागरिक संहिता कानून के तहत हाईकोर्ट ने सुनाया पहले आदेश, गोटेगांव पुलिस को एफआईआर कर जांच करने के दिए निर्देश

हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अगर मौजूदा मामले में एफआईआर नहीं हुई तो पुलिस याचिकाकर्ता को लिखित कॉपी दे और उसमें बताए कि अगर मामले में एफआईआर नहीं हुई तो फिर क्यों नहीं की गई। ताकि याचिकाकर्ता इस आधार पर आगे की कार्रवाई कर सके।

Amit Sengar
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High Court

Jabalpur News : नए कानून में संशोधन के बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173 के तहत सुनवाई करते हुए पहला आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक, हाईकोर्ट ने नरसिंहपुर के गोटेगांव पुलिस को मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच करने के निर्देश दिए हैं, इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अगर मौजूदा मामले में एफआईआर नहीं हुई तो पुलिस याचिकाकर्ता को लिखित कॉपी दे और उसमें बताए कि अगर मामले में एफआईआर नहीं हुई तो फिर क्यों नहीं की गई। ताकि याचिकाकर्ता इस आधार पर आगे की कार्रवाई कर सके।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज दुबे ने हाई कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता अमीश तिवारी ने 7 मई 2024 को नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। लेकिन याचिकाकर्ता 21 दिसंबर, 2024 को फिर से पेश हुआ और मामले में एफआईआर दर्ज की, लेकिन कोई कार्रवाई और संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर पीड़िता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने कहा: इसकी सुनवाई बाद में संबंधित पुलिस स्टेशन और जिला पुलिस द्वारा की जाएगी, थाने को कार्रवाई का आदेश दिया गया।

दरअसल याचिकाकर्ता अमीश तिवारी ने याचिका के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया है कि, नरसिंहपुर निवासी गुरु शरण शर्मा द्वारा बागेश्वर धाम के गुरु धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और उनके परिवार की महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी की साथ ही उनके परिवार को नंगा कर देने की धमकी भी दी गई थी, याचिकाकर्ता ने बाकायदा इसके बाबत आरोपी का एक यूट्यूब लिंक भी कोर्ट को प्रोवाइड किया है जिसमें यह कहा गया है कि गुरु शरण शर्मा द्वारा बागेश्वर धाम पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर वह बेहद आहत है और इसी बात को लेकर उन्होंने गोटेगांव पुलिस थाने में शिकायत की थी।

इस मामले की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार की ओर से याचिकाकर्ता की याचिका को प्रचलित में न होने का कहकर खारिज करने की कोशिश की लेकिन मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार के पक्ष को नजरअंदाज करते हुए इस पिटीशन पर सुनवाई की।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट


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