Jabalpur News- ड्राई डे पर खूब बिकी शराब , मौन साधे रहा प्रशासन 

Atul Saxena
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जबलपुर, संदीप कुमार। गणतंत्र दिवस पर भले ही सरकार ने शराब (Liquor) की बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा हो और 26 जनवरी को ड्राई डे घोषित किया हो बावजूद इसके जबलपुर में जमकर शराब (Liquor) बिकी। हाल की तस्वीर जबलपुर के चरगवां तहसील से सामने आई है जहाँ 26 जनवरी को बंद दुकान के पीछे से जमकर शराब (Liquor) बिकी, खास बात ये कि चरगवां पुलिस को ग्रामीणों ने जानकारी भी दी पर पुलिस कार्रवाई में फेल साबित हुई।

दिन भर बिकी दुकान से देशी शराब

देशी शराब (Alcohol) ठेकेदार गणतंत्र दिवस पर दिन भर धड़ल्ले से शराब (Liquor)  की बिक्री करता रहा और इसकी भनक प्रशासन के आला अधिकारियों को लगने के बाद भी बेखोफ शराब माफिया शासन के निर्देशों को दरकिनार कर दुकान के  पीछे की खिड़की से शराब (Liquor)  बेचते रहे, तस्वीरों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शराब माफियाओं को अब कानून का खौफ बिल्कुल भी नहीं रह गया है।

ड्राई डे-पर ठेकेदारों ने खोली दुकान 

अंग्रेजी और देशी शराब (Liquor)  का ठेका लेने वाले ठेकेदार ने गांव-गांव अपनी अवैध दुकानें खुलवा दी है. यहां पर शराब अब बगैर रोक-टोक बिक रही है, जिसका नतीजा यह निकल रहा है कि लोग जमकर नशा कर रहे हैं, जिससे कई परिवार टूट रहे हैं तो वहीं वाहन दुर्घटनाओं में वृद्धि हो रही है।

लाचार दिखाई देता है आबकारी अमला 

जगह-जगह खुली शराब (Liquor) की दुकानों में धड़ल्ले से बिक रही शराब को देखकर भी आबकारी और पुलिस शराब ठेकेदारों के सामने लाचार नजर आ रही  है. आबकारी पुलिस को यह जानकारी होने के बाद भी अवैध रूप से शराब का कारोबार करने वाले ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है

एग्रीमेंट और शर्तों के साथ होता है ठेका

क्षेत्र में ठेकेदारों ने देशी एवं अंग्रेजी शराब (Liquor)  बेचने के ठेके लिए है ठेका कार्य क्षेत्र के अंदर ही शराब बेचने का होता है, जिसकी शर्तें आबकारी विभाग एग्रीमेंट करके लागू भी करता है. ठीक इसी तरह तय जगह पर ही शराब बिक्री करने का प्रावधान रखा गया है. सीमा के बाहर नहीं और वो भी एक स्थान से यानी की दुकान से ही शराब की बिक्री होता है, लेकिन शराब की दुकानों से तो शराब बिना समय निर्धारण के अपने हिसाब से बेची जा रही है।

Jabalpur News- ड्राई डे पर खूब बिकी शराब , मौन साधे रहा प्रशासन 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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