जबलपुर, संदीप कुमार। मध्यप्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) द्वारा गौण खनिज नियमों (Secondary mineral regulations) में किए गए संशोधन के खिलाफ हाईकोर्ट (High Court) में जनहित याचिका दायर की गयी है। याचिका में कहा गया था कि संशोधित नियम के तहत खनिज पट्टे आवंटित करने के लिए मंत्री का पूर्व अनुमोदन अनिर्वाय है। जिससे मंत्रियों को मनमानी करने की खुली छूट मिल जाएगी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस (chief Justice) मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस व्ही के शुक्ल की पीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डाॅ पी.जी. नाजपांडे व डाॅ एम ए खान की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार द्वारा गौण खनिज नियम में किए गए संशोधन का प्रकाशन 22 जनवरी 2020 को जारी हुआ था। संशोधित नियम 18 क में जोड़ा गया है कि खनिज उत्खनन पट्टों की मंजूरी देने से पहले संचालक को विभागीय मंत्रियों से पूर्व अनुमोदन लेना अनिर्वाय है। ऐसा ही संशोधन 41 क में ई-निविदा के संबंध में किया गया है। याचिका में कहा गया था कि विभागीय मंत्री (Departmental minister) गलत निर्णय लेते हैं , तो उनके खिलाफ कोई चुनौती देने की हिम्मद नहीं जुटा पाएगा। इसके अलावा गलत निर्णय लेने पर भी विभागीय मंत्रियों की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। बता दें की , संशोधित नियम में मंत्रियों को मनमानी की पूरी छूट दी गयी है। मंत्रियों को एकतरफा निर्णय का अधिकार दिया गया है। तथा पारदर्षिता समाप्त कर दी गयी है। संशोधित नियम से भेदभाव तथा भ्रष्टाचार बढ़ने की संभावना है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद निर्धारित की गयी है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की है।
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