जबलपुर| मध्यप्रदेश में पिछले 15 सालों से चली आ रही एक और परंपरा टूटने वाली है| कांग्रेस सरकार के निशाने पर आए मीसाबंदियों को इस बार गणतंत्र दिवस के शासकीय कार्यक्रम में सम्मानित नहीं किया जाएगा| मीसाबंदी कार्यक्रम में आमंत्रित तो होंगे लेकिन उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तरह मंच से सम्मान नहीं मिलेगा| मीसाबंदी और बीजेपी इसे सरकार की बदला लेने की कार्यवाई बता रहे हैं तो सरकार के मंत्री, सिर्फ नज़रिए का फेर, शिवराज सरकार में लोकतंत्र सेनानी के नाम और मोटी पेंशन से नवाज़े गए मीसाबंदी, कांग्रेस सरकार में लगातार निशाने पर हैं|
सरकार पहले ही मीसाबंदियों को दी जाने वाली 25 हज़ार रुपयों की मासिक पेंशन पर, मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन करवा रही है और अब उनके सम्मान पर भी ब्रेक लग रहा है| हर साल गणतंत्र दिवस के शासकीय कार्यक्रमों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तरह सम्मान से नवाज़े जाने वाले मीसाबंदियों को इस बार मंच से सम्मान नहीं मिलेगा| जबलपुर में गणतंत्र दिवस के मुख्य शासकीय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मीसाबंदियों को न्यौता तो दिया गया है लेकिन इस बार उनके सम्मान की व्यवस्था नहीं है| मीसाबंदी और बीजेपी इसे कांग्रेस सरकार की बदला लेने की कार्यवाई बता रहे हैं|
जबलपुर में गणतंत्र दिवस का मुख्य शासकीय कार्यक्रम शहर के पण्डित रविशंकर शुक्ल स्टेडियम में होना है जहां इस बार झण्डावंदन करने जा रहे मंत्री लखन घनघोरिया ने मौजूदा विवाद को सिर्फ नज़रिए का फेर बताया है| सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया का कहना है कि देश की आज़ादी के लिए जान गंवाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और मीसाबंदियों को एक श्रेणी में नहीं रखा जा सकता| पेंशन प्रकरण के बाद मीसाबंदियों के लिए ये दूसरा झटका है जब गणतंत्र दिवस पर उनके सम्मान पर ब्रेक लग रहा है| बदले में मीसाबंदी जल्द ही अपने संगठन की बैठक करने जा रहे हैं जिसमें गणतंत्र दिवस समारोह में ना पहुंचने का फैसला भी लिया जा सकता है| अब देखना दिलचस्प होगा कि इस नए विवाद पर सियासत कहां तक पहुंचती है।