आयुध निर्माणियों का संचालन अब ओएफबी के स्थान पर निगम करेगा, विरोध शुरू

Atul Saxena
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जबलपुर, संदीप कुमार।  केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों का आखिरकार 86 साल बाद विघटन हो गया, अब देश भर की सभी 41 आयुध निर्माणियों को सात निगम संचालित करेंगी जिसकी शुरुआत दो दिन पहले 1 अक्टूबर 2021 से हो गई है।  आयुध निर्माणियों का संचालन अब ओएफबी के स्थान पर निगम करेगा। इधर सुरक्षा संस्थानों के निगमीकरण होने पर कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया है।

एशिया में सबसे बड़ी फैक्ट्री में शुमार है ओएफके

जबलपुर शहर आयुध निर्माणियों का शहर कहा जाता है।  जबलपुर में चार आयुध निर्माणियां है जिसमें आयुध निर्माणी खमरिया, गन कैरिज फैक्ट्री, व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर, ग्रे आयरन फाउंड्री है। ओएफके फैक्ट्री का क्षेत्रफल तो एशिया के सबसे बड़े स्टेट में शुमार है। आज जबलपुर की चारों फैक्ट्री  में 15 हजार कर्मचारी-अधिकारी पदस्थ है। 30 सितम्बर तक ये कर्मचारी बोर्ड के थे पर अब ये निगम के हो गए हैं।

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देश में सैकड़ों साल से कार्यरत थे कर्मचारी

रक्षा मंत्रालय की फैक्ट्रियों को निगम में बदल देने पर कर्मचारियों में खासा आक्रोश है। कर्मचारियों की माने तो मोदी सरकार ने फैक्ट्रियों को निगम में बदलकर आने वाले समय में पूंजीपतियों को बेचने का काम कर रही है। ये वही आयुध निर्माणि फैक्ट्रियां है जिसने  पाकिस्तान-बांग्लादेश से लड़ाई के समय दिन रात एक करके सेना के लिए सामान बनाकर तैयार किया था।

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चेन्नई और दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की गई है याचिका

कर्मचारियों के विरोध करने पर केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ सख्त कानून बना दिये।  कर्मचारी अगर अपना विरोध जताता है तो न सिर्फ उसके खिलाफ जुर्माना लगाया जाएगा बल्कि उसे सजा तक हो सकती है जिसको लेकर कर्मचारियों ने चेन्नई और दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दायर की है। भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री नरेंद्र तिवारी ने कहा कि निगमीकरण को लेकर काला दिवस मनाकर विरोध जता रहे है इसके अलावा अब edso और edsa पर सरकार का कानून बनाना भी गलत है जिसको लेकर चेन्नई और दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में भी निगमीकरण को लेकर कर्मचारी जाने की तैयारी कर रहे हैं।

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इन निगमों के अधीन होंगी अब शहर की निर्माणियां

ओएफके अब म्युनिशन इंडिया लिमिटेड संभालेगी, व्हीएफजे की जिम्मेदारी आर्म्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड, चेन्नई को दी गई है। जीसीएफ अब एडवांस वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया देखेगी जबकि जीआईएफ को यंत्र इंडिया लिमिटेड के अधीन किया गया है।  आपको बता दें कि जबलपुर में गन कैरिज फैक्ट्री की स्थापना 1904 में हुई थी जबकि  ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया 1942 की गई थी इसी तरह व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर 1969 में शुरू हुई थी वहीं ग्रे आयरन फाउंड्री 1973 में बनी थी।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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