जबलपुर, संदीप कुमार
बारिश के दिनों में परियट नदी से लगे करीब आधा दर्जन गांव में रहने वाले ग्रामीणों में दहशत का माहौल बन जाता है। इसकी वजह यह है कि नदी में पानी अधिक होने के चलते मगरमच्छ नदी से बाहर निकलकर गांव का रुख कर लेते हैं, जिसके चलते ग्रामीणों में हमेशा यह डर बना रहता है कि कहीं मगरमच्छ गांव के भीतर ना जाएं। हालांकि कई बार ग्रामीणों ने मगरमच्छ को पकड़कर वन विभाग को सौंपा है पर इसके लिए कोई ठोस कदम आज तक प्रशासन और वन विभाग ने नहीं उठाया गया है। यही वजह है कि ग्रामीणों में बीते कई सालों से बारिश के दौरान दहशत का माहौल व्याप्त रहता है।
सोनपुर, वर्धाघाट, मटामर सहित आसपास के गाँव मे रहती है दहशत
दर्शल बारिश के दौरान नदी में पानी बढ़ जाता है ऐसे में पानी मे बहकर मगरमच्छ गाँव मे पहुँच जाते है। कई बार तो ये भी हुआ की ये मगरमच्छ घरों तक आ जाते है जिसके चलते ग्रमीणों की जान आफत में आ जाती है। ग्रामीण बताते है कि आम दिनों में तो सब कुछ ठीक रहता है पर बारिश आते है नदी में रहने वाले मगरमच्छ पानी के बहाव में गांव तक पहुँच जाते है। ग्रामीणों के साथ साथ गाँव में रहने वाले जानवर भी आए दिन इन मगरमच्छों का शिकार होते है। रिठौरी गाँव में रहने वाले का कहना है कि बारिश के समय इन मगरमच्छों का इतना ख़ौफ़ आ जाता है कि लोग नदी के आसपास से निकलने में भी डरते हैं।
मगरमच्छों को संरक्षित करने बनवाया जाए अभयारण्य
जिस तरह से परियट नदी में मगरमच्छों की संख्या बढ़ रही है उसको देखते हुए लोगो की वन विभाग से मांग है कि गांव से लगे इलाको को मगरमच्छों को संरक्षित करने अभयारण वन विभाग के द्वारा बनवाया जाए जिससे ग्रामीण भी भय मुक्त रहेंगे साथ ही मगरमच्छ भी संरक्षित रह सकेंगे।
जिला प्रशासन करता है रेस्क्यू
परियट नदी से लगे गांव में धीरे धीरे मगरमच्छों का खौफ़ बढ़ने लगा है। लोग अब इतने दहशत में रहते है कि शाम होते है नदी के पास बसे गाँव के ग्रामीण घरों के अंदर हो जाते है। मगरमच्छ खास कर बारिश में रात के समय आते है और अंधेरे का लांभ उठाकर घरों में बंधे जानवरो को अपना शिकार बनाते है। हालांकि जिला प्रशासन का कहना है कि जब कभी सूचना मिलती है तो प्रशासन और वन विभाग की टीम गाँव मे जाकर रेस्क्यू करती है।
बारिश में अंडे देने का होता है मगरमच्छ का समय
बताया जाता है कि बारिश के समय मगरमच्छों का अंडे देने का समय होता है जिस वजह से वो नदी किनारे घूमते है इसको लेकर वन विभाग का दावा होता है कि समय समय पर गाँव मे अलर्ट भी करवाया जाता है जिससे कि कोई दुर्घटना न हो।