जबलपुर, संदीप कुमार| कहते हैं शिक्षा का दान, सबसे बड़ा दान होता है… जबलपुर (Jabalpur) के एक शिक्षक (Teacher) ने ये दान कुछ इस तरह दिया कि उनके पढ़ाए बच्चे, जीते जागते ह्यूमन कम्प्यूटर (Human Computer) बन गए| जी हाँ, ह्यूमन कंप्यूटर शकुंतला देवी का नाम तो आपने सुना होगा लेकिन जबलपुर के शिक्षक पराग दीवान (Parag Deewan) ने गरीबों बच्चों को मुफ्त पढ़ाकर इतना होशियार बना दिया कि वो पलक झपकते ही गणित के कठिन से कठिन सवाल भी सुलझा लेते है। ये हकीकत है उन बच्चों की जो कल तक स्कूलों से भी दूर थे और आज इतने होशियार हो चुके हैं कि आने वाले दिनों में बड़े से बड़ा अधिकारी बनने का ख़्वाब देख रहे हैं।
गरीबी में पल बढ़ रहे इन बच्चों को सुनहरे भविष्य की राह दिखाई है जबलपुर के इस शिक्षक पराग दीवान ने जबलपुर में कॉम्पटेटिव एक्ज़ाम की कोचिंग चलाने वाले पराग दीवान ने गरीबों के बच्चों को मु्फ्त पढ़ाकर वो कर दिखाया है जो एक बारगी नामुमकिन लगता है लेकिन पराग ने गरीब परिवारों के बच्चों को मैथामैटिक्स की ट्रिक्स कुछ इस तरह सिखाईं कि वो बड़े से बड़े अंक का स्क्वैयर, क्यूब पलक झपकते निकाल लेते हैं और विज्ञान-भूगोल के सवालों के जवाब तो उन्हें कंठस्थ हो चुके हैं।
पराग सर की ये फ्री क्लास चलती है जबलपुर में नर्मदा नदी के ग्वारीघाट पर खुले आसमान के नीचे| रोज़ शाम को पराग दीवान इसी तरह गरीब बच्चों को मुफ्त पढ़ाकर उन्हें ज़िदगी में बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं| खुद ये बच्चे बताते हैं कि वो नर्मदा किनारे ग्वारीघाट पर फूल, दिए की दुकान लगाते थे और इनका पूरा दिन नर्मदा में अठखेलियां करने में गुज़रता था इन बच्चों को घाट पर आकर पराग दीवान ने अपने पास बुलाया और उन्हें कुछ ना कुछ गिफ्ट देकर अपनी मुफ्त क्लास में बैठाने के लिए मना लिया | अब इन बच्चों के दिल में शिक्षा की अलख कुछ इस तरह जल उठी है कि वो बड़े होकर बड़े से बड़ा अधिकारी बनना चाहते हैं।पराग मुफ्त शिक्षा का सबसे बड़ा दान कर रहे हैं कि लेकिन वो इसे दान नहीं अपना कर्तव्य मानते हैं… पराग का स्वार्थ बस इतना है कि वो चाहते हैं कि गरीबों के घरों में बच्चे इस तरह पढ़ें कि आगे चलकर आईएएस-आईपीएस बनकर देश का नाम रौशन करें।नर्मदा किनारे खुले आसमान के नीचे अपनी इस मुफ्त क्लास को प्रचार की चका-चौंध से दूर रखने वाले पराग असल मायनों में सच्चे शिक्षक हैं जिनका स्वार्थ, गरीबों के बच्चों की बेहतरी में ही छुपा है।पराग जैसे शिक्षकों की बदौलत ही आज भी शिक्षकों का मान,भगवान से भी ऊपर बना हुआ है