जबलपुर, संदीप कुमार। आज भारत देश सहित 80 देशों में खरपतवार गाजर घास (Santa Maria feverfew) परेशानी का सबब बना हुआ है। गाजर घास न केवल फसलों बल्कि मनुष्य और पशुओं के लिए भी एक गंभीर समस्या बन गया है। ऐसे में गाजर घास नियंत्रण हेतु खरपतवार अनुसंधान 16 अगस्त से लेकर 22 अगस्त तक गाजरघास जागरूकता सप्ताह राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन करने की तैयारी में जुटा हुआ है। इस आयोजन में ऑस्ट्रेलिया के डॉ. स्टीव डब्लू एंडकीन्स और डॉ. एस.के चौधरी उप महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद वर्चुअल रूप से जुड़ेंगे।
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खरपतवार गाजर घास (Parthenium hysterophorus) के विषय में अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ जे.एस मिश्र ने बताया कि गाजरघास ना केवल फसल बल्कि मनुष्य और पशुओं के लिए भी एक गंभीर समस्या है। गाजर घास पूरे वर्ष भर उगता और फलता फूलता रहता है। बहुतायत में गाजर घास के पौधे खाली स्थान अनुपयोगी भूमियों, औद्योगिक क्षेत्रों, सड़क के किनारे पर पाए जाते हैं। इसके अलावा इसका प्रकोप धान, ज्वार, मक्का, सोयाबीन, मटर,गन्ना, बाजरा, मूंगफली, सब्जियों में भी देखा गया है, गाजरघास के तेजी से फैलने के कारण अन्य उपयोगी वनस्पतियों स्थानीय जैव विविधता एवं पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
गाजर घास पर नियंत्रण के लिए अनुसंधान निदेशालय ने मेक्सिको से एक भ्रंग जाति के कीट “जाइगोग्रामा बाइक्लोलाटा”को आयात किया गया है, यह कीट गाजर घास की पत्तियों को पूरी तरह से खाकर पौधों को पत्ती रहित कर देता है और अंत में फिर यह पौधे सूख जाते हैं, खरपतवार अनुसंधान निदेशालय ने अभी तक 20 लाख मैक्सीकन बीटल विभिन्न प्रदेशो में निशुल्क छोड़ चुका है।