पोकरण फायरिंग रेंज : घायल विशेषज्ञों की हालत में सुधार, कर्मचारियों ने सरकार पर उठाए सवाल

Pooja Khodani
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जबलपुर, संदीप कुमार। बीते दिनों पश्चिमी राजस्थान के भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर स्थित जैसलमेर जिले की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में बड़ा हादसा हुआ इस हादसे में परीक्षण के दौरान तोप का बैरल फटने से सेना के 3 विशेषज्ञ घायल हो गये, उन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है जिनकी हालत में सुधार बताया जा रहा है।इधर पोकरण रेंज में हुए हादसे पर केंद्रीय सुरक्षा संस्थान के कर्मचारियों ने सरकार पर सवाल खड़े किए है।कर्मचारियों की माने तो जो घटना हुई है वो निजी कंपनियों को तोप बनाने के आर्डर देने से हुआ है।

पोकरण फायरिंग रेंज में हुआ था बडा हादसा
पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में डीआरडीओ और सेना की देखरेख में दो निजी भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित तोप का अंतिम परीक्षण चल रहा था परीक्षण के दौरान अचानक तोप का बैरल फट गया. इससे परीक्षण में लगे तीन विशेषज्ञ घायल हो गये. इस पर उन्हें तत्काल सेना के अस्पताल में ले जाया गया।रेंज में सेना के लिए निजी कंपनी द्वारा निर्मित 155 एमएम और 52 कैलीबर के होवित्जर टाउड तोपों को विभिन्न मानकों पर जांचा परखा जा रहा था।

सरकारी फैक्टरी से नही भारत फोर्ज लिमिटेड कंपनी ने बनाई थी तोप
बताया जा रहा है कि जिस तोप का बैरल फटा है वह तोप भारत फोर्ज लिमिटेड द्वारा बनाई गई थी।तोप की अनुमानित कीमत 3364.78 करोड़ रु बताई जा रही है।निगमीकरण के मुहाने पर खड़ी आयुध निर्माणियों, को बचाने के लिए जारी संघर्ष की स्थिति में यह घटना अत्यंत महत्वपूर्ण एवं भविष्य का संकेत भी है।

पहले भी इस तरह की हो चुकी है बड़ी घटना
पूर्व मे इसी तरह की घटना एक निजी क्षेत्र की कंपनी सोलर इंडस्ट्रीज द्वारा बनाए गए मल्टी मोड ग्रेनेड के परीक्षण के दौरान जैक राइफल्स जबलपुर में भी हुई थी जिसमें 3 लोग घायल हुए थे। सेना द्वारा उस समय भी तथ्य को छिपाने की कोशिश की गई थी। निजी क्षेत्र के उत्पादकों को सेना द्वारा इस तरह से संरक्षण दिया जाना एवं आयुध निर्माणियों की खामियों की खोज-खोज कर कमी निकाल कर दुष्प्रचार करना देश हित में नहीं है।

सुरक्षा संस्थानों में क्रियाशील श्रम संगठनों एवं फेडरेशनों देशों द्वारा इन मुद्दों को समय-समय पर सरकारों के समक्ष रखा जाता रहा है किंतु पूंजी पतियों के दबाव के चलते सेना और सरकार दोनों ही इन तत्थों की अनसुनी करती रही है, जो देश हित में नहीं है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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