जबलपुर| देश के सियासतदार वादे पूरे करने से ज्यादा वादा करने मे यकीन रखते है। दशकों बीत गए लेकिन राम मंदिर मुददे का उलझना लगता है दस्तूर बन चुका है। भाजपा की बात ही कर लें तो कभी इस मुददे को राजनीति मे लाकर उसने दो सांसदो से लेकर सत्ता का स्वाद चख लिया। चुनावी घोषणा पत्र मे रामलला को पहले से लेकर न जाने कितने पन्नो बाद जगह मिलती रही लेकिन अयोध्या मे वे अब तक त्रिपाल मे है। भाजपा,,,,,, घोषणा पत्र मे रामलला को पूजने की रस्म इस बार के लोकसभा चुनाव मे भी निभाएगी| एक बार फिर मंदिर बनाने के दावे किए जा रहे हैं। जबलपुर पहुॅचे भाजपा के राष्ट्रीय उपाघ्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने सीना चौड़ा कर यह ऐलान किया । राम मंदिर की बात हो और राजनीती न हो तो ऐसा कैसे हो सकता है | विपक्ष को आड़े हाॅथो लेते हुए उन्होने मंदिर न बनने के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहरा दिया।
लोकसभा चुनाव की तैयारी मे जुटी भाजपा को लगता है कि तीन राज्यो मे चुनावी हार के बाद वहाॅ की जनता बेहद दुखी है। गौरतलब है कि भारत के मन की बात कार्यक्रम मे 62 शहरो से गुज़रते हुए जबलपुर पहुॅचे सहस्त्रबुद्वे सुझाव पेटीयों मे लोगो का मत जानने मे जुटे है।