निजीकरण के खिलाफ 5 अक्टूबर को प्रदेश में मनाया जाएगा विरोध दिवस

भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। उत्तरप्रदेश (uttarpradesh) में बिजली वितरण के निजीकरण (Privatization of electricity distribution) के विरोध में उतरे लोगों के साथ हुए अत्याचार के चलते और विद्युत वितरण कंपनी के निजीकरण (Privatization of power distribution company) के खिलाफ पूरे मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में 05 अक्टूबर को विरोध दिवस(Protest day) के रुप में मनाया जाएगा। ये जानकारी मध्यप्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर इंप्लाईज एवं इंजीनियर्स (Madhya Pradesh United Forum for Power Employees and Engineers) ने प्रेस रिलीज के जरिए साझा की है।

दरअसल,20 सितंबर को भारत शासन (Government of India) द्वारा एसवीडी यानि स्टेंडर्ड बिड डाक्यूमेंट (Standard bid document) जारी किया गया था, जिसमें देश की वितरण कंपनियों (Countrys power distribution companies)  को निजी हाथों में सौंपने की बात कही गई थी। एसबीडी में 5 अक्टूबर तक सभी प्रदेशों से अपने अपने कमेंट मांगे गए थे। वहीं इसका विरोध करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों का कहना है कि ये सरकार कि साजिश है जिसके तहत कोरोना काल (Corona era) में बिजली वितरण कंपनियों को निजी कंपनियों को औने पौने दामों में बेच दिया जाएगा। जिसके कारण आम जनता ,कर्मचारियों और अधिकारियों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा, वहीं सरकार इस मसले पर बिजली अधिकारी और कर्मचारी की एक सुनने को तैयार नहीं है। इसकी के कारण मध्यप्रदेश में पांच अक्टूबर का दिन विरोध दिवस के तौर पर मनाया जाएगा।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।