इस समाजसेवी ने उठाया वातावरण सुधारने का बीड़ा, खुद के खर्च पर करते है वृक्षारोपण

Gaurav Sharma
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जबलपुर,संदीप कुमार। जिस तरह से पेड़ो की कटाई हो रही है ये आने वाले वातावरण के लिए नुकसानदायक साबित होगा। वायुमंडल में ऑक्सीजन की कमी का भी एक बड़ा कारण है पेड़-पौधों को काटना। सरकार और जिला प्रशासन भले ही पौधों को लगाने में पहल न करे पर जबलपुर शहर के बहुत से समाजसेवी है जो कि अपने दम पर पर्यावरण को संतुलन करने का प्रयास कर रहे है। इन्ही समाजसेवियों के बीच एक समाजसेवी है सोनू दुबे जो कि अपने खर्चे से शहर में खाली पड़ी जमीनों में वृक्षारोपण कर रहे है। सोनू दूबे ने शुरुआत में सड़कों के बीच बने डिवाडर में पौधों को रोपने का काम शुरू किया है। वहीं सोनू ने अभी तक करीब डेढ़ सौ पौधों को डिवाडर के बीच लगाया है।

पौधों को बचा रखने का जिम्मा भी स्वयं संभाल रखा है

जबलपुर के युवा सोनू दुबे ने रांझी से लेकर गोकलपुर के बीच करीब डेढ़ सौ पौधों को लगाया है और इन पौधों को बचाने के लिए बाकायदा ट्री गार्ड से भी कवर किया गया है, जिससे कि न सिर्फ इन पौधों को जानवरों से सुरक्षित रखा जा सके बल्कि इन पौधों को नुकसान न हो। इसके साथ ही पौधों के लिए पानी की भी व्यवस्था भी कर रखी है। सोनू दुबे टैंकर के माध्यम से रोजाना डिवाडर में लगे पौधों को पानी देने का काम करते है जिससे कि ये पौधे सूखे न। डिवाडर में खाली पड़ी जमीन में पौधारोपण करना और फिर उन पौधों को बचाने के लिए ट्री गार्ड लगवा कर मृत बुजुर्गों के सम्मान में लगना ये भी चर्चा का विषय बना हुआ है ।सोनू दुबे के इस प्रयास को बुजुर्ग भी सराह रहे है। वहीं बुजुर्ग हरि सिंह का कहना है कि पर्यावरण को बचाने के लिए सोनू दुबे की ये अनूठी पहल है जिससे सबको सीख लेने की जरूरत है। बहरहाल पर्यावरण को बचाने के लिए समाजसेवी सोनू दुबे की इस पहल को भले ही लोग अभी सराह रहे है पर अब देखना ये होगा कि डिवाडर में पौधों रोपित किए गए इन पौधों को कब तक बचाया जा सकता है क्योंकि महज कुछ दिन की सुरक्षा और देखरेख से ही पर्यावरण को बचाने का काम नही हो सकता।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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