नौकरी नहीं मिलने से परेशान इंजीनियर ने कुए में कूदकर दी जान 

Atul Saxena
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जबलपुर, संदीप कुमार। युवाओं को रोजगार (Rojgaar) देने के खोखले सरकारी वादों (Sarkari vaado) ने एक घर का दीपक बुझा दिया। ताजा मामला जबलपुर के आदर्श नगर का है जहाँ रहने वाले एक इंजीनियर (Engineer)ने बेरोजगारी (Unemployment)  से परेशान होकर कुए में कूदकर अपनी जान दे दी। युवक का नाम सुरेंद्र देशमुख है जिसकी उम्र करीब 31 साल बताई जा रही थी। बताया जा रहा है कि युवक ने 2012 में इंजीनियरिंग  की थी और तभी से नौकरी की तलाश कर रहा था। सूचना के बाद मौके पर पहुँची रांझी थाना पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज कर  जाच शुरू कर दी है।

मृतक के पिता ने बताया कि सुरेंद्र ने 2012 में इंजीनियरिंग पूरी कर ली थी और उसके बाद से ही वह नौकरी की तलाश  कर रहा था , इस दौरान सुरेंद्र ने केंद्रीय सुरक्षा संस्थान में ट्रेनिंग भी की साथ ही स्कूल में पढ़ाता भी था,इस दौरान वह प्रतियोगी  परीक्षा की तैयारी करने में अपने आपको असहज  महसूस कर रहा था लिहाजा मृतक सुरेंद्र  ट्रेनिंग छोड़कर प्रतियोगी परीक्षा  की तैयारी में जुट गया। बीते कई सालों से जब तैयारी के बाद भी नौकरी नहीं मिली तो सुरेंद्र परेशान हो गया और फिर ये घातक कदम उठा लिया।

नौकरी नहीं मिलने से परेशान सुरेंद्र ने अपने परिवार में किसी को भी  एहसास नहीं  होने दिया कि वह परेशान है,शुक्रवार रात को सुरेंद्र अपने कमरे में सो गया और सुबह जब देर तक अपने कमरे से बाहर नहीं  आया तो परिजन उसके रूम में गए जहाँ वह नहीं  मिला तो मृतक के पिता और भाई तलाश करने लगे अचानक उनकी नजर कुए  में गई जहाँ सुरेंद्र का  शव तैर रहा था,इसके बाद परिजनों ने तुरंत ही रांझी थाना पुलिस को इसकी सूचना दी।सूचना के बाद मौके पर पहुँची रांझी थाना पुलिस ने शव को बाहर निकलवाया साथ ही उसके कमरे की भी तलाश ली गई,बता दे कि  मृतक सुरेंद्र अपने परिवार में सबसे छोटा था। परिवार में माँ -पिता के अलावा बड़ा भाई, बड़ी बहन और भाभी है। पुलिस ने शव का पंचनामा करपीएम के लिए मेडिकल कालेज भेज जांच शुरू कर दी है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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