जबलपुर| “स्फटिक शिवलिंग”जी हा बहुत से लोगो ने ये नाम पहली बार सुना होगा पर हम आपको बताते है क्या है “स्फटिक शिवलिंग” जो हिमखंड हजारो साल तक दबे रहते है और पिघलते नही है वो कहलाते है “स्फटिक” | जबलपुर के यादव कालोनी में रहने वाले नरेंद्र निखारे के यहाँ पर है दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ‘स्फटिक शिवलिंग’। श्री निखारे ने दावा किया है कि इससे बड़ा स्फटिक शिवलिंग कश्मीर के महाराजा रणजीत सिंह ने अक्षरधाम मंदिर में स्थापित किया था जिसकी ऊंचाई 36 इंच की है जबकि ये “स्फटिक शिवलिंग” 30 इंच का है जो कि 55 किलो वजनी है। आज महाशिवरात्रि में इस शिवलिंग को देखने के लिए दूर दूर से भक्त आते है।
“स्फटिक शिवलिंग” का सिर्फ जल से रुद्राभिषेक होता है। नरेंद्र निखारे ने बताया कि विज्ञान के नजरिये से भी इस “स्फटिक शिवलिंग” का बहुत महत्व है। शिवलिंग से निकलने वाले जल को तांबे के पात्र में इकट्ठा करके उसे पीने से कई तरह का असाध्य रोगों से निजात मिलता है। नरेंद्र निखारे ने बेल्जियम से इसे 2012 में लेकर आए थे। जिसे की उन्होंने अपने घर पर इसे स्थापित किया है। आने वाले समय मे नरेंद्र निखारे अपने पिता की याद में बहोरीपार ग्राम में एक मंदिर का निर्माण कर वहाँ पर स्थापित करने की योजना है।
मान्यता ये भी है कि “स्फटिक शिवलिंग” इतना प्रभावशाली होता है कि सिर्फ इनके दर्शन मात्र से बिगड़े काम बन जाते है। यही वजह है कि जब से ये “स्फटिक शिवलिंग” श्री निखारे के यहाँ पर स्थापित हुआ है तब से न सिर्फ कष्ट दूर हुए है बल्कि लक्ष्मी का भी कृपा उनके घर परिवार में है। महाशिवरात्रि के पावन पर्व में आज सुबह से ही नरेंद्र निखारे के घर पर “स्फटिक शिवलिंग” की पूजा अर्चना में लोग लगे हुए है।