Jaleshwar Mahadev Temple: उज्जैन देवाधिदेव महादेव की नगरी है और यहां के कण कण में शिव का वास है। यहां पर एक नहीं बल्कि अनेकों धार्मिक स्थान मौजूद है जो अपने चमत्कारों के चलते पहचाने जाते हैं। कहीं भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है तो कहीं उन्हें परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। उज्जैन के हर तीर्थ स्थल का अपना महत्व और चमत्कार है।
बाबा महाकाल की नगरी होने के अलावा यहां पर कई सारे शिवलिंग मौजूद हैं, जो अपने रहस्यों से लोगों को हैरान करते आए हैं। ऐसा ही एक शिवलिंग जलेश्वर महादेव के नाम से पहचाना जाता है जो चंबल नदी के बीच मौजूद है और नदी इस जगह पर त्रिशूल आकार में रहती है। चलिए आज आपको इस जगह के बारे में बताते हैं।
महादेव का चमत्कार
यह शिवलिंग बहुत चमत्कारी है क्योंकि जब चंबल का रौद्र रूप देखने को मिलता है, तो जलेश्वर महादेव अपना स्थान छोड़कर धारा की विपरीत दिशा में विराजमान हो जाते हैं। यह जगह उज्जैन से 36 किलोमीटर दूर इंगोरिया से 6 कि आगे दंगवाड़ा में है। महादेव की यह शिवलिंग स्वयंभू है और यहां मांगी गई हर मुराद पूरी हो जाती है।
जब चंबल अपना रौद्र रूप धारण करती है। उस समय यहां महादेव का चमत्कार देखने को मिलता है। नदी के बहाव की वजह से बड़े-बड़े पत्थर अपना स्थान छोड़ देते हैं लेकिन जलेश्वर महादेव का शिवलिंग धारा की विपरीत दिशा में जाकर विराजमान हो जाता है। जलस्तर कम होने पर भक्त वापस से शिवलिंग को जलधारी पर रख देते हैं। नदी कितना भी रौद्र रूप धारण क्यों न कर ले लेकिन ना तो शिवलिंग को कोई नुकसान पहुंचता है और ना ही घंटी, ध्वज जैसी चीजें क्षतिग्रस्त होती है।
कहलाता है मालवा का केदार
केदारनाथ का धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां महादेव 6 महीने दर्शन देते हैं और 6 महीने विश्राम करते हैं। ठीक उसी तरह जलेश्वर महादेव भी 6 महीने दर्शन देते हैं और 6 महीने जलमग्न हो जाते हैं। यही कारण है कि उन्हें मालवा के केदारनाथ के नाम से पहचाना जाता है।
नहीं टिका मंदिर निर्माण
चंबल नदी के बीच बसे शिवलिंग को बहुत चमत्कारी माना जाता है। भक्त अक्सर यहां अपनी मुराद लेकर पहुंचते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी यहां मन्नत मांगता है भोलेनाथ उस पर अपनी कृपा बरसाते हैं। जब मनोकामना पूरी होने पर कुछ भक्तों ने यहां पर मंदिर निर्माण करवाने के बारे में सोचा या फिर छत का निर्माण करवाया तो यह निर्माण ज्यादा समय नहीं टीका। इसके बाद भक्तों ने मान लिया कि शायद महादेव को खुले आसमान के नीचे रहना ही पसंद आता है इसलिए मंदिर में किसी तरह का नया काम नहीं करवाया जाता है। बड़ी संख्या में भक्त यहां पर दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।