झाबुआ, विजय शर्मा। जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण खरीफ फसलों में जलभराव एवं कीट व्याधियों के प्रकोप का जायजा लेने कलेक्टर रोहित सिंह, पेटलावद तथा झाबुआ विकास खण्ड के विभिन्न ग्रामों में पहुंचकर फसलों का जायजा लिया। साथ ही पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता भी मौके पर मौजूद थे। रोहित सिंह ने सबसे पहले विकाखण्ड झाबुआ के ग्राम खेरमाल, धावडीपाड़ा का दौरा कर कृषकों से चर्चा की और अधिक वर्षा के कारण होने वाले संभावित नुकसान से फसलों को बचाने के लिये उचित जल निकास करने की सलाह दी। साथ ही फसलों में कीट व्याधियों के प्रकोप के नियंत्रण के लिये विषेषज्ञों द्वारा अनुशंसित रसायनों का उचित मात्रा में घोल बनाकर उपयोग करने की सलाह दी गई।
कलेक्टर रोहित सिंह इसके बाद विकाखण्ड पेटलावद के ग्राम करड़़ावद पहुचें और कृषक भरत आंजना के खेत पर लगी सोयाबीन फसल, प्रजनक बीज फसल, बीज उत्पादन इकाई का अवलोकन किया। इस दौरान खेत में जलभराव की स्थिति पाए जाने पर उचित जल निकास करने की सलाह दी तथा पौधे से पौधे की उचित दूरी बनाये रखने की भी सलाह दी। साथ ही ग्राम टेमरिया में कृषक दशरथलाल-मोतीलाल आंजना के खेत पर अमरूद फसल के पंक्तियों के बीच रेज बेड पद्धति से लगी सोयाबीन फसल का अवलोकन किया और निर्धारित बीज दर का उपयोग कर, पौधे से पौधे की उचित दूरी रखने तथा अधिक उत्पादन लेने संबंधी कृषकों के बीच सामुहिक चर्चा की। कलेक्टर रोहित सिंह एवं पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता ने कृषक आंजना के खेत के मेड़ पर लिची के पौधे का रोपण किया।
उन्होंने ग्राम सारंगी पहुंचकर कृषक बालाराम पाटीदार के खेत में रेज बेड पद्धति से लगी सोयाबीन, अरहर तथा मुंगफली की फसलों का अवलोकन किया। फसल अवलोकन के दौरान फसलें कीट व्याधियों से मुक्त होकर सोयाबीन फसल में अच्छी पोड फॉरमेशन देखी। साथ ही उद्यानिकी फसलों एवं एकीकृत फसल पद्धति, कृषि यंत्रिकरण, जिले में नवीन फसलों की सम्भावना पर किये जा रहे गतिविधियों का अवलोकन किया।
कलेक्टर रोहित सिंह ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पेटलावद को निर्देश दिये हैं कि 320 हैक्टर में फलोद्यान के लिये हितग्राहियों का चयन करें, ताकि किसान उद्यानिकी के क्षेत्र में आगे बढें और अपनी माली हालत में सुधार कर सकें। इस दौरान अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पेटलावद शिशिर गेमावत, उप संचालक कृषि एन.एस.रावत, परियोजना संचालक आत्मा जी.एस. त्रिवेदी कृषि वैज्ञानिक डॉ. आई.एस. तोमर, डॉ. जगदीश मौर्य, अनुविभागीय कृषि अधिकारी आर.एस. बघेल, सहायक संचालक कृषि एस.एस. रावत, उप परियोजना संचालक (आत्मा) एम.एस. धार्वे, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एल.सी. खपेड़, विषय वस्तु विषेषज्ञ उदा काग एवं ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी हेमेन्द्र डामोर इत्यादि उपस्थित थे।
वहीं सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिये अनुशंसित मिश्रित सम्पर्क रसायन बीटासायफ्लुथ्रिनइमिडाक्लोप्रीड 350 एमएल प्रति हैक्टेयर या था योमिथाक्समलैम्बडा सायहेलोथ्रिन 125 एमएल प्रति हैक्टेयर का छिड़काव करें, जिससे सफेद मक्खी के साथ-साथ पत्ती खाने वाले कीटो का भी एक साथ नियंत्रण हो सके। कुछ क्षेत्रों में लगातार हो रही रिमझिम वर्षा की स्थिति में पत्ती खाने वाली इल्लियों के नियंत्रण के लिये इन्डोक्साकाब 333 एमएल प्रति हैक्टेयर या लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.9 सीएस 300एमएल प्रति हैक्टेयर का छिड़काव करें। जिन क्षेत्रों में अधिक वर्षा से जल भराव की स्थिति है, संभावित नुकसान को कम करने के लिये भी शीघ्र अतिशीघ्र जल निकासी की व्यवस्था करें। मक्का फसल में फाल वर्मी के नियंत्रण के लिये एमामेक्टिन बैंजोएट 250 ग्राम प्रति हैक्टेयर उपयोग करने की सलाह दी गई।