सरकार को जगाने के लिए किया गया सद्बुद्धि यज्ञ, शासन के सामने रखी ये मांग

Gaurav Sharma
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झाबुआ, विजय शर्मा। मध्य प्रदेश फेडरेशन ऑफ टेंट एसोसिएशन के आह्वान पर सरकार को जगाने के लिए सद्बुद्धि यज्ञ का आयोजन झाबुआ में किया गया। पंडित द्विजेन्द्र व्यास द्वारा विधि विधान से हवन का पूजन आयोजित किया गया, जिसमें सद्बुद्धि के लिए विशेष प्रार्थना भी की गई।

सभी ने एक सुर में मध्य प्रदेश सरकार से मांग की है कि आगामी नवंबर दिसंबर माह में शादियों के सीजन में टेंट ,लाइट , केटरिंग ,बैंड ,घोड़ी ,हलवाई से जुड़े व्यापार को चलाने के लिए कम से कम 500 लोगों को सरकार अनुमति प्रदान करें। साथ ही 8 माह से आर्थिक तंगी झेल रहे इन सभी व्यवसायियों को आर्थिक पैकेज देकर संकट समाप्त करने के लिए योजना जरूर बनाएं। साथ ही 5 लाख तक का ऋण बिना ब्याज में देकर इन सभी व्यापारियों को राहत प्रदान करें। इस अवसर पर भारत माता की जय वंदे मातरम जैसे नारों से पुरा परिसर गुंजायमान हो गया था। प्रदेश सरकार से यह भी मांग की गयी कि गांव में बसे छोटे छोटे व्यापारियों को चिन्हित कर उनके भी आर्थिक हितों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।

इस दौरान जिला टेंट लाइट एसोसिएशन एवं झाबुआ तहसील टेंट लाइट एसोसिएशन जिला प्रभारी नीरज सिंह राठौर, जिला अध्यक्ष अजय सिंह पवार, जिला महामंत्री जेमता बिलवाल, तहसील अध्यक्ष योगेश सोनी ,सरफराज सैयद ,अब्बू दादा ,जगदीश राठौर, अंकित रुनवाल, बैंड व्यवसाय से जुड़े रमेश भाई गोवर्धन भाई और जगदीश उपस्थित थे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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