नेता प्रतिपक्ष के चयन में आदिवासी कार्ड चलाने के मूड में कमल नाथ , यह नेता है दौड़ में सबसे आगे

Gaurav Sharma
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MP Politics

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आगामी 28 दिसंबर से 3 जनवरी तक मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा (Vidhansabha) का शीतकालीन सत्र होने वाला है। लेकिन अभी तक नए नेता प्रतिपक्ष (Leader Opposition) का चयन नहीं हो पाया है। दरअसल वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ (Former Chief Minister Kamal Nath) पीसीसी चीफ और नेता प्रतिपक्ष (PCC Chief And Leader Opposition) दोनों की जिम्मेदारी संभाल रहें है। लेकिन अब कमल नाथ दोनों पदों में से एक पद छोड़ने के मूड में है।

कमल नाथ कह चुके है कि वो 2023 तक मध्य प्रदेश में सक्रिय राजनीति करेंगे। कमल नाथ पार्टी संगठन को और मजबूत करना चाहते है। ऐसे पीसीसी चीफ के पद पर कमल नाथ बने रहना चाहते है और नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी किसी और को सौंपने की तैयारी कर रहें है। जिसके बाद अटकलें तेज हो गई है कि शीतकालीन सत्र से पहले कांग्रेस अपने नए नेता प्रतिपक्ष का ऐलान कर देगी।

दरअसल वर्तमान में मध्यप्रदेश कांग्रेस दो बड़े चेहरे कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के साथ खड़ी है। लेकिन दिग्विजय सिंह ने प्रदेश की राजनीति से दूरियां बना कर दिल्ली कुंच कर चुके है और कमल नाथ अपने पास सिर्फ पार्टी अध्यक्ष का पद रखना चाहते है। ऐसे में आप नेता प्रतिपक्ष कौन होगा इसको लेकर प्रदेश के सियासी गलियारों में राजनीति गरमाई हुई है। पार्टी में नेता प्रतिपक्ष के दावेदारों की कमी नहीं दिख रही है। करीब आधा दर्जन के करीब नेता इस रेस में शामिल है। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, डॉ. गोविंद सिंह, उमंग सिंधर, बाल बच्चन, सज्जन सिंह वर्मा, विजयलक्ष्मी साधौ और बृजेन्द्र सिंह इस रेस में शामिल है।

2018 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनाने में आदिवासी वर्ग का काफी अहम योगदान रहा था। ऐसे में सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष के चयन में कमल नाथ आदिवासी कार्ड खेल सकते है। अगर ऐसा होता है तो पूर्व मंत्री बाल बच्चन इस रेस में बाकियों से काफी आगे निकल सकते है। बाला बच्चन कमल नाथ के सबसे करीबी और विश्वास पत्रों में से एक है। पार्टी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस पद के लिए पार्टी हाईकमान और कमल नाथ के बीच सहमति बनती दिखाई दे रही है। ऐसे में जीतू पटवारी, डॉ. गोविंद सिंह, उमंग सिंधर, सज्जन सिंह वर्मा, विजयलक्ष्मी साधौ और बृजेन्द्र सिंह इस रेस में पिछते हुए नज़र आ रहें है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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