Katni News : कटनी जिले में आदिवासियों के उत्थान और क्षेत्र के विकास के लिए सरकारी दावे ढीमरखेड़ा तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत कचनारी के करौंदी गांव में गलत साबित हो रहे हैं। दरअसल, यहां के आदिवासी परिवारों की मजबूरी रोगंटे खड़े कर देने वाली है। बता दें कि भारी बारिश में पूरा मार्ग दलदल में तब्दील हो गया है। बच्चे इसी दलदल के बीच जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंच रहे हैं तो वहीं गांव में यदि कोई बीमार हो जाता है तो फिर उसे बल्ली के सहारे डोली बनाकर कांधे में लादकर ले जाया जाता है।
जिम्मेदार बेखबर
यह समस्या किसी भी अफसर, जनप्रतिनिधि को नजर नहीं आ रही। बता दें कि यहां बसे आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत कचरानी का आश्रिम गांव करौदी के लगभग तीन दशक बीतने के बावजूद मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। ग्रामीणों ने बताया की गांव तक पहुंचने के लिए उन्हें मुख्य मार्ग से तकरीबन 2 किलोमीटर कच्ची और कीचड़ भरी सड़क को पार कर जाना पड़ता है। कई साल बीत गए लेकिन आजतक मुख्य सड़क से गांव तक सड़क नहीं बनी। बच्चों के पढ़ने के लिए गांव में स्कूल भी नहीं है। आंगनवाड़ी केंद्र की सुविधा भी गांव से नदारद है। गांव में आशा कार्यकर्ता भी नहीं है।
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दलदल में तब्दील हुई सड़क
वहीं, बीमार लोगों को एक कबाड़ बनाकर उन्हे कांधे में लेकर 2 किमी मेन सड़क तक ले जाना पड़ता है। उसके बाद फिर सिलौड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेजाकर उपचार कराया जाता है। इसी बीच रास्ते में नाला भी पड़ता है जिसे बच्चे व ग्रामीण जान जोखिम में डालकर पार करते हैं। आगे लोगों ने बताया कि मुख्य मार्ग पैदल लेकर चलते हैं। फिर किसगी गांव में उनके दो पहिया वाहन रहते हैं।
गांव में सड़क, आंगनबाड़ी, स्कूल, आशा कार्यकर्ता ना होने के कारण ग्रामीणों को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। आंगनबाड़ी केंद्र ना होने के कारण छोटे बच्चों को पोषण आहार एवं महिलाओं को टीकाकरण भी समय पर नहीं हो पा रहा। वहीं, बीते दिनों तेज बारिश के कारण सड़क दलदल में तब्दील हो गई है। गांव की एक महिला को घर में ही प्रसव कराना पड़ा, जिससे बच्चे और मां दोनों की जान को खतरा बन आया था।
उफनती नदी को नाव के सहारे पार कर रहे ग्रामीण
इसके अलावा, ढीमरखेड़ा से 20 किलो मीटर दूर बीजापुर महानदी का एक और वीडियो सामने आया है, जहां बारिश के पानी से उफान मार रही महानदी को ग्रामीण एक लकड़ी से बनी नाव में सवार हो एक किनारे से दूसरे किनारे जाते दिखाई दे रहे है। बता दें कि यह पूरा नज़ारा महानदी बीजापुर घाट का है। इस महानदी के एक किनारे से दूसरे किनारे को जोड़ने वाले पुल को साल 2016 में स्वीकृत मिली थी। जिसका कार्य धीमी गति से चल रहा है। जिसके कारण ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर पड़ रहा है।
कटनी से अभिषेक दुबे की रिपोर्ट
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Sanjucta Pandit
मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।
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