पति-पत्नी और Murder! चरित्र शंका के चलते पति ने कर दी पत्नी की हत्या, खुद को भी किया घायल

Gaurav Sharma
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खंडवा, सुशील विधाणी। कहते हैं कि पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास की डोर से बंधा होता है । जब यह विश्वास की डोर टूटती है, तो रिश्तों की मर्यादा भी बिखर जाती है और रूह कपकपा देने वाली घटनाएं सामने आती है। ऐसी ही दर्दनाक घटना हुई जब पति ने अपनी पत्नी पर चरित्र संदेह कर उसे चाकू से गोदकर मार डाला (Murder)। पति को अपनी पत्नी के चाल चलन पर संदेह था। इस बात पर उनके बीच कई बार विवाद की स्थिति भी बनी थी।

आखिरकार पति ने  पत्नी को रास्ते से हटाने की ठान ली और  चाकू से गोदकर हत्या (Murder) उसकी कर दी। साथ ही उसने खुद के गले पर भी चाकू से वार किया। पत्नी को मारने के बाद वह अपनी बेटी को भी मारना चाहता था लेकिन बेटी ने दरवाजा बंद कर दिया और वहां से भाग गई और उसने अपनी जान बचा ली। वहीं पत्नी ने अपना दम घर पर ही तोड़ दिया।

वहीं मामले की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। गुरूवार सुबह पंधाना थाना प्रभारी राधेश्याम मालवीय, बोरगांव चौकी प्रभारी जगदीश सिंग सिंद्या और एफएसएल अधिकारी विकास मुजाल्दा घटनास्थल पहुंचे। एएसएल अधिकारी मुजाल्दा ने साक्ष्य जुटाए और पुलिस ने हत्या मे उपयोग किया चाकू जब्त कर लिया। साथ ही महिला के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल के शव गृह में रखवा दिया।  पंधाना पुलिस और खंडवा की टीम मौके पर पहुंची, जहां से गंभीर अवस्था में घायल पति को भी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। मर्ग कायम कर पंधाना पुलिस ने जांच शुरू कर दी है ।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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